
इंदौर। 278 साल बूढ़े हो चुके राजबाडे ने वैभवशाली होलकर साम्राज्य के निर्णय भगवान शिव को साक्षी मानकर अपने दरबार हाल होते हुए देखे हैं… अब 20 मई को प्रदेश की मोहन सरकार को निर्णय लेते हुए राजबाड़ा देखेगा… आजादी से पहले राजबाड़े में होलकर शासन के सूबेदार, मंत्री और दीवान बैठते थे, वहीं अब कल प्रदेश सरकार अपना दफ्तर लगाएगी। सन् 1732 में इंदौर कस्बा सूबेदार मल्हारराव होलकर को पेशवाओं से जागीर में प्राप्त हुआ और होलकर साम्राज्य की नींव रखी गई। 1747 में राजबाडे का निर्माण शुरू हुआ और फिर अनेक चरणों में इसका विकास होता गया। खांडेराव होलकर से विवाह के बाद अहिल्याबाई इंदौर आईं और 1754 में पति फिर बेटे और ससुर के निधन के बाद उन्होंने होलकर साम्राज्य की बागडोर संभाली और एक आदर्श शासक के रूप में देशभर में प्रसिद्ध हुईं।
वे बचपन से ही भगवान शिव की परम भक्त थीं। अपना सारा राजपाट भी उन्होंने भगवान शंकर को समर्पित कर रखा था। प्रमुख राजाज्ञाओं और सरकारी आदेशों पर अहिल्याबाई हस्ताक्षर नहीं करतीं थीं। नीचे केवल श्री शंकर लिख देती थीं। उनके बाद अन्य सभी होलकर राजाओं ने राजबाडे में दरबार लगाकर भगवान शिव (मल्हारी मार्तण्ड) को साक्षी मानकर राज्य और जनहित में निर्णय लिए और इंदौर की कीर्ति देश-विदेश में बढ़ती गई।
दरबार हाल में इन शासकों ने बैठकर चलाया शासन
राजबाडे के दरबार हाल में सूबेदार मल्हारराव होलकर, मालेराव होलकर, देवी अहिल्याबाई होलकर, तुकोजीराव होलकर (प्रथम), काशीराव होलकर, यशवंतराव होलकर (प्रथम), मल्हारराव होलकर (द्वितीय), मार्तंडराव होलकर, हरिराव होलकर, खंडेराव होलकर, तुकोजीराव होलकर (द्वितीय), शिवाजीराव होलकर, तुकोजीराव होलकर (तृतीय), यशवंतराव होलकर (द्वितीय) ने शासन चलाया।
मध्यभारत राज्य विधानसभा की बैठक गांधी हाल में होती थी
1948 में जब मध्यभारत राज्य का निर्माण किया गया, तब इंदौर को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया तो गांधी हाल में राज्य विधानसभा की बैठक आयोजित की जाती थी और मंत्रिमंडल का आफिस आज के कमिश्नर कार्यालय मोती बंगले में संचालित किया जाता था, वहीं से शासकीय आदेश जारी किए जाते थे। एक नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश के गठन के बाद राजधानी भोपाल स्थानांतरित कर दी गई।
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