
1 अप्रैल से नहीं हुआ सिस्टम अपडेट, ई-केवाईसी और डीबीटी पर ठीकरा फोड़ा, इंदौर जिले में 5927 प्रसूताओं का डीबीटी और 3955 का ई-केवाईसी अब तक अपडेट नहीं
इंदौर. जिले में 5927 प्रसूताओं (pregnant women) का डीबीटी (DBT) और 3955 का ई-केवाईसी (e-KYC) अब तक अपडेट नहीं हुआ है। जिले में प्रसव के बाद महिलाओं के खातों में डायरेक्ट बैनिफिट ट्रांसफर और ई-केवाईसी अपडेट की प्रक्रिया अब भी धीमी चल रही है। 1 अप्रैल से 8 अक्टूबर तक के आंकड़ों के अनुसार जिले के विभिन्न ब्लॉकों में कुल 5927 महिलाओं के खाते लिंक की प्रक्रिया नहीं हो सकी है, जबकि 3955 महिलाओं का ई-केवाईसी भी अब तक पूर्ण नहीं हुआ है। इन आंकड़ों के आधार पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रसव के बाद महिलाओं को दी जाने वाली सहायता राशि लेटलतीफी की भेंट चढ़ रही है। लगभग 12 हजार प्रसूताओं को जननी सुरक्षा का अधिकार ही नहीं मिला है।
डिलेवरी के बाद महिलाओं को पहला बच्चा होने व दूसरा प्रसव होने के बाद आर्थिक सहायता के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ के लिए पोषण आहार सहित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन बैंक खाते में ई-केवाईसी नहीं होने के कारण हजारों महिलाओं का पैसा समय पर नहीं पहुंच पा रहा है। विभाग प्रयास करने के बजाय इन कामों पर अपनी लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार मल्हारगंज जोन में सर्वाधिक मामले दर्ज हुए हैं, जहां 1548 महिलाओं का बैंक खाता लिंक और 1029 का ई-केवाईसी अपडेट नहीं हुआ। इसके बाद नंदानगर में डीबीटी-896, ई-केवाईसी-605 और संयोगितागंज डीबीटी-834, ई-केवाईसी-526 ब्लॉक में भी बड़ी संख्या में अपडेशन बाकी है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में हालात अच्छे हैं। सांवेर में सबसे कम मामले डीबीटी-345, ई-केवाईसी-185 सामने आए हैं। देपालपुर 426, ई-केवाईसी 276, हातोद 565, ई-केवाईसी 367, हुकमचंद हॉस्पिटल 632, ई-केवाईसी 493 , महू में 681, ई-केवाईसी 474 के मामले अब भी बाकी हैं। कुल मिलाकर यह स्थिति दर्शाती है कि प्रसवोत्तर लाभ योजनाओं का पूरा लाभ कई महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग अब आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है, ताकि हर पात्र महिला का डेटा अपडेट किया जा सके।
कलेक्टर के सख्त निर्देश
हाल ही में कलेक्टर शिवम वर्मा ने अनुविभागीय अधिकारियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में जांच कर जहां व्यवस्थाएं देखने के निर्देश दिए थे, वहीं साफ-सफाई व अन्य गतिविधियों पर भी नजर रखने को कहा था, जिसके बाद एसडीएम व तहसीलदार ने क्षेत्र के अस्पतालों का दौरा भी किया और कई खामियां उजागर की थीं। उसके बाद कलेक्टर ने सख्त निर्देश दिए हैं कि व्यवस्थाएं ऐसी हों कि मातृ लाभ योजनाओं की राशि सीधे खातों में पहुंच सके। आगामी समीक्षा बैठक में प्रत्येक ब्लॉक के लिए लक्ष्य तय कर जिम्मेदारी तय की जाएगी, ताकि प्रसूताओं को उनका हक मिल सके।
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