
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) (United Nations General Assembly – UNGA) में भारत (India) ने उस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया, जिसमें फिलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास (Palestinian President Mahmoud Abbas) को वर्चुअल माध्यम से भाषण देने की अनुमति दी गई थी। यह कदम तब उठाया गया जब ट्रंप प्रशासन (Trump administration) ने अब्बास का अमेरिकी वीजा रद्द ( Revokes US Visa) कर दिया। इस प्रस्ताव को भारी समर्थन प्राप्त हुआ, जिसमें 145 देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि पांच देशों (इजरायल, संयुक्त राज्य अमेरिका, पलाऊ, पैराग्वे और नाउरू) ने इसका विरोध किया। छह देश मतदान से अनुपस्थित रहे।
फिलस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास अगले सप्ताह होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में वीडियो लिंक के माध्यम से विश्व को संबोधित करेंगे। इसे फिलस्तीन के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जबकि अमेरिका और इजरायल को झटका लगा है। शुक्रवार को पारित प्रस्ताव में कहा गया कि फिलस्तीन राज्य अपने राष्ट्रपति का पहले से रिकॉर्ड किया गया बयान प्रस्तुत कर सकता है, जिसे महासभा हॉल में चलाया जाएगा।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब कुछ हफ्ते पहले फिलस्तीनी प्राधिकरण ने वाशिंगटन से अब्बास का वीजा बहाल करने का अनुरोध किया था, ताकि वह फिलस्तीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने और संयुक्त राष्ट्र महासभा को व्यक्तिगत रूप से संबोधित करने के लिए अमेरिका की यात्रा कर सकें। अब्बास उन 80 फिलस्तीनी अधिकारियों में शामिल थे, जिनके वीजा अमेरिकी विदेश विभाग ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए रद्द कर दिए थे।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि यह मेजबान देश समझौते का उल्लंघन करता है, जिसके तहत अमेरिका को राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों को वार्षिक बैठकों और राजनयिक कार्यों के लिए न्यूयॉर्क की यात्रा की अनुमति देनी होती है। बता दें कि महासभा के भाषण मंगलवार से शुरू होंगे, जिसके बाद सोमवार को नेता शिखर सम्मेलन के लिए एकत्र होंगे। इसकी मेजबानी फ्रांस और सऊदी अरब करेंगे, जिसका उद्देश्य इजरायल और फिलस्तीनियों के बीच दो-राज्य समाधान की दिशा में प्रगति करना है।
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