
नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia–Ukraine War)में पंजाब (Punjab)और हरियाणा(Haryana) के युवाओं को फंसाने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। कई परिवारों ने केंद्र और राज्य सरकारों(State Governments) पर आरोप लगाया है कि वे ट्रैवल एजेंटों(Travel Agents) और मानव तस्करों(Human traffickers) पर नकेल कसने में नाकाम रहे हैं, जो नौकरी का झांसा देकर युवाओं को “मौत के मैदान” में भेज रहे हैं। द ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 15 पंजाबी युवा जून के बाद अब तक रूस ले जाए गए हैं। उन्हें नौकरी के बहाने बुलाकर जबरन सेना में भर्ती कर दिया गया है।
हरियाणा के फतेहाबाद के दो युवाओं ने हाल ही में वीडियो जारी कर मदद की गुहार लगाई, जिसमें उन्होंने रूस की सेना में भर्ती किए जाने का खुलासा किया। द ट्रिब्यून के मुताबिक, जालंधर के जगदीप कुमार ने दावा किया कि वहां गए पांच युवकों की मौत हो चुकी है और तीन लापता हैं। उनका भाई मंदीप भी यूक्रेन में फंसा हुआ है।
मलेरकोटला के गुरमेल सिंह का बेटा लापता है। ऐसे ही अमृतसर की परमिंदर कौर ने बताया कि उनके पति युद्ध में मारे गए। उन्होंने आरोप लगाया कि मृतकों के परिवारों को मिलने वाला मुआवजा और पेंशन तक ट्रैवल एजेंट हड़प रहे हैं।
कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने परिवारों के साथ चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसे सिस्टम की नाकामी करार दिया। उन्होंने कहा, “सबसे दुखद पहलू यह है कि पंजाब पुलिस इन एजेंटों तक नहीं पहुंच पा रही है। यह अलग-अलग धोखाधड़ी के मामले नहीं हैं, बल्कि एक संगठित मानव तस्करी रैकेट है। मामला विदेश मंत्रालय तक उठाया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।”
उन्होंने मांग की कि भारत सरकार रूस से उच्च स्तरीय राजनयिक बातचीत कर युवाओं की रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करे। दोषी ट्रैवल एजेंटों और सहयोगियों पर मानव तस्करी कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा तुरंत दिया जाए और इस शोषण को रोकने के लिए संयुक्त टास्क फोर्स बनाई जाए। उन्होंने दावा किया कि रूसी सेना में भर्ती हुए उत्तर भारत के 126 युवा अब भी फंसे हुए हैं और उनमें से 15 लापता हैं।
रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती बंद की जाए
इससे पहले भारत ने गुरुवार को अपने नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के प्रस्तावों को स्वीकार न करने का आग्रह किया और मॉस्को से मांग की कि वह रूसी सेना में भारतीय नागरिकों को सहायक कर्मचारियों के रूप में भर्ती करना बंद करे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने इस मामले को दिल्ली और मॉस्को दोनों स्थानों पर रूसी अधिकारियों के समक्ष उठाया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने हाल में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की खबरें देखी हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मौकों पर इस तरह की कार्रवाई में निहित जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है और भारतीय नागरिकों को तदनुसार आगाह किया है।’
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