
नई दिल्ली । शिवसेना (Shiv Sena) ने मंगलवार को दावा किया कि महा विकास आघाडी (MVA) के विधायकों(Legislators) और सांसदों(MPs) को ‘हनीट्रैप’ में फंसाने के लिए छिपे हुए कैमरों और पेगासस जैसी निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल किया गया, जिसके कारण 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि अविभाजित शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के कुछ विधायकों ने केंद्रीय एजेंसियों के दबाव में पाला बदल लिया। इसमें कहा गया है कि कम से कम 18 विधायक और चार सांसद “हनीट्रैप” में फंस गए, जिसके कारण उन्हें अपनी छवि बचाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाना पड़ा।
इसमें कहा गया है कि कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया था कि सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया गया और विपक्ष के एक पूर्व नेता के रूप में उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। संपादकीय में कहा गया है, ‘इजराइल से लाए गए गुप्त कैमरों और पेगासस जैसी प्रणाली का (निगरानी के लिए) पूरी तरह से इस्तेमाल किया गया। अब यह स्पष्ट है कि एमवीए सरकार इसी (हनीट्रैप के) कारण गिर गई।’ पेगासस एक स्पाइवेयर है जिसे इजराइली साइबर-आर्म्स कंपनी एनएसओ ग्रुप ने विकसित किया है।
सामना में कहा गया है कि बीजेपी के पास ‘हनीट्रैप’ करने की एक प्रणाली थी और यहां तक कि पुलिसकर्मी भी विपक्ष पर निगरानी रखते थे। संपादकीय में कहा गया है कि जब शिवसेना के सांसदों और विधायकों से जुड़े ‘हनीट्रैप’ के सबूतों से भरी एक पेन ड्राइव एकनाथ शिंदे को सौंपी गई, तो वे सूरत, गुवाहाटी और फिर गोवा की यात्रा पर निकल पड़े। संपादकीय में कहा गया है कि यह सब एक ‘सस्पेंस थ्रिलर’ जैसा है।
शिवसेना (UBT) 2022 में अविभाजित शिवसेना में शिंदे द्वारा रचे गए विभाजन की ओर इशारा कर रही थी। सामना में कहा गया है कि शुरुआत में शिंदे के पास संख्याबल कम था और उस समय उनके पास केवल नौ या दस विधायकों का समर्थन था। इसमें कहा गया है कि फिर भी, गृह विभाग के लोगों और तत्कालीन विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने सांसदों और विधायकों को ब्लैकमेल किया। संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट, योगेश कदम और दादा भुसे, और उनके राकांपा सहयोगी माणिक कोकाटे को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि कुछ मंत्रियों को ‘हनीट्रैप’ में फंसाया गया था, और उन्हें भी जाना होगा। सामना में कहा गया है कि कुछ मंत्रियों के आचरण से संकेत मिलता है कि महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है।
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