
इंदौर, विकाससिंह राठौर।
राखी (Rakhi) के त्योहार से पहले शहर के बाजारों में नकली (Fake) मावा-मिठाई (Mawa-sweet) का धंधा तेज हो गया है। अहमदाबाद (Ahmedabad) से रोजाना 1 हजार किलो से ज्यादा नकली बर्फी और मिल्ककेक इंदौर भेजा जा रहा है, जो असल में मावा नहीं, बल्कि मिल्क पाउडर और पाम ऑयल से बनाए जा रहे हैं।
खाद्य औषधि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गुजरात में बनने वाली इन मिठाइयों को बस और ट्रेन से इंदौर भेजा जा रहा है। पैकिंग पर बर्फी और मिल्ककेक लिखा होता है। पैकिंग 20 से 40 किलो की होती है और पैकेट पर इसकी सामग्री साफतौर पर लिखी जाती है, जिसमें मावा का कोई जिक्र नहीं होता, यहां मिल्क पाउडर, शकर, वेजिटेबल ऑयल, पाम ऑयल और प्रिजर्वेटिव लिखा जाता है। यही वजह है कि परिवहन के दौरान इन्हें गलत या नकली घोषित कर पकड़ा नहीं जा सकता।
इंदौर पहुंचते ही बदल जाता है रूप
खाद्य विभाग के अनुसार इंदौर पहुंचने के बाद कुछ मिठाई कारोबारी इन नकली मिठाइयों को पहले गर्म करते हैं और फिर उनका आकार बदल देते हैं। इसके बाद इन्हें असली मावा मिठाई के रूप में 400 से 500 रुपए किलो तक के दाम पर बेच दिया जाता है। इस प्रक्रिया में मूल पहचान खत्म हो जाती है और ग्राहक आसानी से धोखे में आ जाते हैं।
सस्ते में आकर महंगे बिकने का खेल
गुजरात से आने वाली यह नकली मिठाई 120 से 140 रुपए किलो की दर से खरीदी जाती है। इंदौर में पहुंचने पर यह कीमत तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ जाती है और असली मावा मिठाई के नाम पर 400 से 500 रुपए किलो तक बेची जाती है। इस तरह एक ही खेप से कारोबारी लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।
जांच में लगातार पकड़ी जा रही नकली मिठाई
राखी को देखते हुए पिछले कुछ दिनों से खाद्य औषधि विभाग ने शहर में विशेष जांच अभियान शुरू किया है। इस दौरान कई स्थानों से नकली मावा मिठाई जब्त की गई थी। जांच में सामने आया कि इनमें मिल्क पाउडर, पाम ऑयल और प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किया गया था। बड़ी मात्रा में ऐसी मिठाई नष्ट भी कार्रवाई जा चुकी है।
त्योहार पर बढ़ती है मिलावट की संभावना
खाद्य विभाग का मानना है कि राखी, दिवाली जैसे त्योहारों से पहले नकली और मिलावटी मिठाइयों का कारोबार तेजी पकड़ लेता है। त्योहार के मौसम में मांग अधिक होने से कारोबारी कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं।
सतर्क रहें, सुरक्षित रहें
खाद्य विभाग ने उपभोक्ताओं को सजग रहने की सलाह दी है। असली मावा का स्वाद और खुशबू अलग होती है, जबकि नकली मावा में कृत्रिम गंध अधिक होती है। ग्राहक को चाहिए कि त्योहार पर मिठाई खरीदते समय ब्रांडेड दुकानों या भरोसेमंद स्रोत से ही खरीदारी करें।
मिठाई को गर्म करने से पैदा होते हैं अवगुण
वरिष्ठ रसायनशास्त्री एसएल गर्ग ने बताया कि असली मावा मिठाई के नाम पर नकली मावा मिठाई बेचना लोगों के साथ ठगी तो है ही, इसके साथ ही इसे आकर बदलने के लिए गर्म करना, इसमें कई अवगुण भी पैदा करता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
कई स्थानों पर पकड़ी जा चुकी नकली मिठाई
त्योहार के समय नकली मिठाई का कारोबार बढ़ जाता है, खासकर बाहर से आने वाले उत्पादों पर नजर रखी जा रही है। गुजरात से रोजाना करीब 2 हजार किलो बर्फी और मिल्ककेक आ रहा है। पैकेट पर लिखी सामग्री के कारण परिवहन के दौरान सीधे कार्रवाई मुश्किल होती है, लेकिन इंदौर पहुंचकर इनका रूप बदलकर मावा मिठाई के रूप में बेचना पूरी तरह अवैध है। हमने हाल ही में कई स्थानों पर छापे मारकर नकली मिठाई जब्त की है और संबंधित कारोबारियों पर एफएसएसएआई एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। जनता से अपील है कि सस्ते दाम पर मिलने वाली मावा मिठाई से बचें और शक होने पर तुरंत खाद्य विभाग को सूचित करें।
-मनीष स्वामी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी
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