
इंदौर। सहारा इंडिया (Sahara India) की 23 लाख स्क्वेयर फीट (23 lakh square feet) आवासीय और वाणिज्यिक उपयोग की बेशकीमती जमीन इंदौर बायपास (Indore-Bypass) पर बीते कई सालों से अनबिकी पड़ी है। पूर्व में इसको सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आदेश पर बेचने के प्रयास भी किए गए थे, तो दूसरी तरफ नगर निगम ने भी 20-20 हजार स्क्वेयर फीट के 4 बड़े भूखंडों को जब्त किया था। मगर उसकी भी नीलामी नहीं कर पाया। अब निगम ने नए सिरे से सहारा इंडिया पर बकाया 26 करोड़ 11 लाख रुपए का सम्पत्ति कर आरोपित किया है और पिछले दिनों सहारा इंडिया की तरफ से इंदौर बायपास की इन जमीनों के लिए जो पब्लिक नोटिस जारी किया था उसका जवाब भी वकील के माध्यम से निगम ने भिजवा दिया है। इसके साथ ही यशवंत क्लब सहित अन्य बड़े बकायादारों की सूची नए सिरे से निगम जारी करेगा। अभी नगर निगम के राजस्व विभाग ने तय किया है कि 50 हजार से अधिक के बड़े डिफॉल्टरों से सख्ती से सम्पत्ति कर वसूल किया जाए।
इस संबंध में राजस्व विभाग की बैठक में प्रभारी नीरंजनसिंह चौहान गुड्डू ने भी निगम अमले को निर्देश दिए। साथ ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव और आयुक्त शिवम वर्मा भी बकाया वसूली करवा रहे हैं। 90 लाख रुपए से अधिक की राशि जहां यशवंत क्लब पर बकाया है, तो इसी तरह अन्य बड़े बकायादार तो हैं ही, जिनमें सहारा इंडिया भी शामिल है। पिछले दिनों इंदौर बायपास में बिचौली मर्दाना की जो जमीनें सहारा इंडिया की है उसको लेकर नए दिल्ली के एड्व्होकेट समीर पांडे ने पब्लिक नोटिस जारी किया था, जिसमें इन सम्पत्तियों के बकायादारों या अन्य वित्तीय संस्थाओं से जानकारी मांगी गई थी, जिसके चलते निगम के असेसमेंट और सर्वे विभाग ने उक्त पब्लिक नोटिस के जवाब में अपना सम्पत्ति कर मांगा है। निगम के मुताबिक बीते 10 सालों में एक रुपया भी जमा नहीं किया और वर्तमान में 26 करोड़ 11 लाख 59 हजार 178 का कर बकाया हो गया है। यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर बायपास पर 2003 में सहारा इंडिया का प्रोजेक्ट 90 एकड़ में लॉन्च किया गया था और उस वक्त सबसे महंगे फ्लेटों की बुकिंग इसी प्रोजेक्ट में हुई थी और उसके बाद बनने वाली बहुमंजिला इमारतें अधूरी रह गई और खरीददारों को भी लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। बनी इमारतों के अलावा आधी से अधिक जमीन अभी भी खाली पड़ी है, जो लगभग 23 लाख स्क्वेयर फीट होती है। आज इस जमीन की कीमत ही हजार करोड़ रुपए से कम नहीं है और इसे बेचने के पूर्व में भी प्रयास किए गए थे। निगम के राजस्व विभाग के अरविन्द नाइक के मुताबिक 20-20 हजार स्क्वेयर फीट के 4 भूखंडों की जब्ती- कुर्की भी की गई थी। मगर इनकी नीलामी नहीं हो सकी, जिसके चलते सम्पत्ति कर की राशि वसूल ही नहीं हो सकी और अभी चलाए जा रहे अभियान के चलते नए सिरे से नोटिस सहारा इंडिया को जमा किया गया है। नगर निगम के पोर्टल में आए दिन आने वाली तकनीकी गड़बड़ी के चलते भी सम्पत्ति कर इस बार कम जमा हुआ है और अब निगम के प्रयास हैं कि बड़े बकायादारों के साथ-साथ अग्रिम कर जमा करने वालों से राशि वसूल हो जाए। अभी 30 जून की बजाय 31 जुलाई तक अग्रिम कर पर मिलने वाली छूट की अवधि बढ़ाने की घोषणा भी महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा की गई है, जिसमें सम्पत्ति कर पर सवा 6 और जल कर पर 6 प्रतिशत की छूट दी जाती है। दरअसल, पिछले दिनों तो शासन का बनाया हुआ ई-नगर पालिका पोर्टल लम्बे समय तक ठप पड़ा रहा और निगम को लगभग 100 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा, जिसके चलते इस बार सम्पत्ति कर से सिर्फ 68 करोड़ रुपए ही हासिल हो पाए हैं। अब बड़े बकायादारों के साथ-साथ नई सम्पत्तियों का सर्वे भी निगम शुरू करवा रहा है। पिछले साल 21 हजार नए खाते खोले गए थे।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved