
इंदौर। जन्म से ही जो चल-फिर नहीं सकते थे। वह दुर्घटना में अपने हाथ-पैर गंवा चुके थे। उन्होंने कृत्रिम अंग मिलते ही ऐसी दौड़ लगाई, जैसे अपने सपनों को छूने के लिए बस जो कमी थी, वह पूरी हो गई हो। 240 दिव्यांगों ने कृत्रिम पैर मिलते ही जहां दौड़ लगाई तो हाथ खो चुके दिव्यांगों ने पहली बार अपने हाथों से पानी पीया। दौड़ रस्साकसी और दैनिक जीवन के काम करते हुए इन दिव्यांगों के चेहरों से मुस्कुराहट हट ही नहीं रही थी।
मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है, जब उसका अस्तित्व दूसरों के जीवन में प्रकाश और आशा भर सके। इसी दिव्य ध्येय को साकार करते हुए नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने इंदौर के गुरु अमरदास हॉल में नारायण लिंब एवं कैलीपर्स फि़टमेंट शिविर आयोजित किया। यह केवल एक चिकित्सा शिविर नहीं, बल्कि असंख्य टूटे सपनों और ठहरी हुई जिंदगी को फिर से गति देने वाला नजर आया। इस शिविर में 240 से अधिक दिव्यांगजन कृत्रिम अंग पाकर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े ही नहीं हुए, बल्कि अपने पैरों पर दौड़ते हुए, रस्साकसी सहित कई खेल खेले। जिन पैरों ने वर्षों पहले चलना छोड़ दिया था, वे आज फिर से जीवन की राह पर चल पड़े हैं, जिनके चेहरे पर निराशा की लकीरें थीं, वहां अब आत्मविश्वास और प्रसन्नता की उजली मुस्कान खिली।
समाज के लिए प्रेरणा है
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संसदीय कार्य मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिव्यांगजनों से कहा कि आप सभी अपनी हिम्मत और आत्मविश्वास से समाज के लिए प्रेरणा हैं। सरकार और नारायण सेवा संस्थान मिलकर आपको मुख्यधारा से जोडऩे के लिए निरंतर प्रयासरत है। आप सबके जीवन में आगे बढऩे और आत्मनिर्भर बनने के लिए हरसंभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। शिविर की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मुख्य अतिथि कैलाश विजयवर्गीय, समारोह अध्यक्ष तुलसी सिलावट, विशिष्ट अतिथि आचार्य राजेश मुनि महाराज, समाजसेवी पारसमल कटारिया और अनिल भंडारी का वंदना अग्रवाल एवं पलक अग्रवाल ने मेवाड़ी परंपरा से स्वागत किया।
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