
इंदौर। पिछले दिनों मुख्य सचिव अनुराग जैन ने उज्जैन का दौरा किया और सिंहस्थ से जुड़े प्रोजेक्टों की समीक्षा में कई लापरवाहियां लामने आईं, जिसके चलते उन्होंने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई और कई प्रोजेक्टों के टेंडर जारी ना होने पर भी आश्चर्य जताया, क्योंकि तीन साल का समय भी अब सिंहस्थ में नहीं बचा है। जबकि कई निर्माण कार्य ऐसे हैं जिनको पूरा करने की समय सीमा ही 3 से 4 साल की सीमा टेंडर शर्तों में ही लिखी है। इन्हीं में से एक 29 किलोमीटर लम्बे घाट का निर्माण भी करना शामिल है। दो बार इसके टेंडर बुलाए गए, मगर किसी ने हिस्सा नहीं लिया। अब तीसरी बार बुलाए टेंडर में 7 कम्पनियों ने हिस्सेदारी की है और इंदौर की कम्पनी को 563 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया है। दूसरी तरफ सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह का कहना है कि मेला सेल भी गठित किया जा रहा है।
उज्जैन विकास प्राधिकरण ने सिंहस्थ मेला क्षेत्र के लिए 5 हजार एकड़ से अधिक जमीनें चिन्हित की हैं और किसानों को 60 फीसदी जमीन वापस सौंपी जाएगी। इस संबंध में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह, जिन्हें शासन ने उज्जैन सिंहस्थ का मेला अधिकारी बनाया है, उन्होंने पिछले दिनों किसानों द्वारा किए जा रहे विरोध के मद्देनजर उज्जैन में बैठकें लीं और काफी हद तक भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों को समझाने में सफल भी रहे। श्री सिंह के मुताबिक अभी शुरुआत में उन प्रोजेक्टों पर तेजी से अमल कराया जा रहा है जो तीन सालसे पहले पूरे हो सकते हैं, जिनमें सडक़ों, फ्लायओवर, पार्किंग क्षेत्र विकसित करने के साथ-साथ कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट भी शामिल है, जिसे जून-2027 तक पूरा कर लिया जाएगा। अभी कान्ह नदी का गंदा पानी क्षिप्रा में मिलता है, उसे रोकने के लिए अब जमीन के भीतर टनल बनाकर कान्ह नदी के पानी को बायपास करते हुए क्षिप्रा की बजाय सीधे गंभीर डेम में छोड़ा जाएगा।
इसके साथ ही सिंहस्थ से जुड़ी तमाम व्यवस्थाओं के लिए मेला सेल का भी गठन होगा, जिसके चलते सम्पूर्ण मेला क्षेत्र की प्लानिंग की जाएगी। सेक्टरवार अधिकारियों को जिम्मेदारी मिलेगी, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों-विभागों से जुड़े काम शामिल रहेंगे। सिंहस्थ मेला अधिकारी श्री सिंह ने उज्जैन निगम के अधिकारियों से सडक़ चौड़ीकरण से लेकर सीवरेज प्रोजेक्ट, जल वितरण लाइन बिछाने सहित अन्य कार्यों की जानकारी भी ली। दूसरी तरफ भोपाल से आला अफसर भी लगातार उज्जैन के दौरे कर रहे हैं। इंदौर कान्ह कान्ह और उज्जैन की क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर 29 किलोमीटर लम्बा घाट भी बनाया जा रहा है। जल संसाधन विभाग ने पूर्व में दो बार टेंडर बुलाए। मगर कोई भी उपयुक्त ठेकेदार फर्म नहीं मिली और फिर मुख्य सचिव की फटकार के बाद जल संसाधन विभाग ने पिछले दिनों तीसरी बार टेंडर बुलाए। उल्लेखनीय है कि यह कार्य तीन साल में पूरा होना है मगर अब इसे ढाई साल में पूरा करवाया जाएगा, क्योंकि तीन साल बाद मार्च-2028 से तो सिंहस्थ की शुरुआत हो ही जाएगी। अभी 7 कम्पनियों ने हिस्सा लिया, जिसमें इंदौर की फलोदी कंस्ट्रक्शन ने 573.28 करोड़ का टेंडर भरा है, जो कि सबसे कम राशि का है।
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