
इंदौर। बिजली के उत्पादन में लगातार वृद्धि के बावजूद जनता को अधिक बिल चुकाना पड़ता है, क्योंकि हर साल इंदौर सहित प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियां नियामक आयोग के समक्ष करोड़ों रुपए के घाटे का हवाला देकर बिजली की दरें बढ़वा लेती हैं। दूसरी तरफ उपभोक्ता यानी जनता से इन कम्पनियों द्वारा कई मदों में अवैध वसूली भी कर ली जाती है। अभी पिछले दिनों आयोग ने इन कम्पनियों की याचिका को खारिज कर दिया और 376 करोड़ रुपए जो उपभोक्ताओं से फ्यूल एंड पॉवर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज के रूप में वसूल किए गए थे, उसे 9 किस्तों में बिजली बिल की राशि के साथ समायोजित करने के निर्देश भी दिए। मगर कम्पनियों ने एक रुपया भी उपभोक्ताओं को वापस नहीं लौटाया, उल्टा अब आयोग द्वारा याचिका खारिज करने पर अपीलेंट ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील अवश्य प्रस्तुत कर दी है।
एक तरफ बिजली कम्पनियां दरें तो बढ़वाती ही हैं, वहीं साल में एक-दो मर्तबा अलग से भी फ्यूल एंड पॉवर पर्चेस सहित अन्य मदों के जरिए भी दरों में मामूली बढ़ोतरी कर देती है। इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के अलावा मध्य क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्र की कम्पनियों की दलील थी कि ईधन और बिजली खरीदी की लागत में 3225 करोड़ रुपए की अतिरिक्त बढ़ोतरी के चलते कम्पनियों को नुकसान हुआ, जिसके लिए उपभोक्ताओं से वसूली करवाई जाए। मगर आयोग ने कम्पनियों का यह तर्क नहीं माना और जो वसूली 376 करोड़ की वसूली की जा चुकी थी उसे भी जुलाई 2024 से मार्च-2025 तक 9 किस्तों में लौटाने के आदेश दिए। मगर कम्पनियों ने उपभोक्ताओं से वसूल की गई यह राशि अभी तक वापस नहीं लौटाई। उल्टा अपीलेंट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी के समक्ष आयोग के इस आदेश को चुनौती दे डाली। दरअसल, आयोग ने ही वर्ष 2023-24 के लिए फ्यूल एंड पॉवर पर्चेस एडजेस्टमेंट सरचार्ज के आदेश दिए थे। मगर बाद में आयोग को लगा कि इन कम्पनियों ने जनता से 376 करोड़ रुपए से अधिक की राशि अधिक वसूल कर ली, जो वापस लौटाने को कहा गया।
19 हजार मेगावाट से अधिक पहुंच गई बिजली की मौजूदा मांग
घरेलू के साथ-साथ औद्योगिक, व्यवसायिक, सिंचाई सहित सभी श्रेणियों में बिजली की मांग में भी लगातार इजाफा हो रहा है। दूसरी तरफ बिजली के उत्पादन के साथ-साथ सौर ऊर्जा के जरिए भी बिजली हासिल की जा रही है। वर्तमान में 19 हजार मेगावाट से अधिक बिजली की मांग प्रदेश में पहुंच चुकी है। जबकि कई इकाईयां रख-रखाव सहित अन्य कारणों से बंद भी रही है। अभी बारिश के कारण भी बिजली के उत्पादन में असर पड़ा है। श्री सिंगाजी थर्मल पॉवर, संजय गांधी, सतपुड़ा और अमरकंटक पॉवर हाउस से सबसे अधिक बिजली प्राप्त होती है।
घाटे का हवाला देकर हर साल बिजली दरें बढ़वाती हैं कम्पनियां
हर साल बिजली कम्पनियां घाटे का हवाला देकर नियामक आयोग के समक्ष दर वृद्धि की याचिका दायर करती है और कठपुतली बने आयोग द्वारा सुनवाई की औपचारिकताएं पूरी कर दर वृद्धि की अनुमति दे दी जाती है। अभी इस साल भी 1 अप्रैल से बिजली दरों में लगभग साढ़े 3 प्रतिशत की औसत वृद्धि आयोग ने करवा दी, जिसके चलते घर-घर के बिजली बिल बढ़ भी गए। वहीं अटल गृह ज्योति से लेकर अन्य योजनाओं के लाभान्वितों को भी ज्यादा बिल चुकाना पड़ रहा है। इसके अलावा भी कम्पनियां अन्य मदों में अधिक राशि वसूल करती रही है।
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