
नई दिल्ली: यमन और जिबूती (Yemen and Djibouti) के बीच प्रवासियों को ले जा रही चार नावें समुद्र में डूब गईं. इस हादसे के कारण 180 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने इस घटना की पुष्टि करते हुए इसे दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवासी रास्तों (world’s most dangerous migration routes) में से एक बताया है. यह रास्ता मुख्य रूप से इथियोपिया के प्रवासियों द्वारा खाड़ी देशों में काम की तलाश या संघर्ष से बचने के लिए उपयोग किया जाता है.
IOM के अनुसार, गुरुवार रात चार नावें डूब गईं, जिनमें सवार 180 से अधिक लोगों का अभी तक कोई पता नहीं चला है. यह हादसा यमन और जिबूती के तटों के पास हुआ. यह प्रवासी मार्ग पहले भी घातक साबित हो चुका है. ,साल 2024 में इस रास्ते से यमन में 60,000 से अधिक प्रवासी पहुंचे थे, जबकि इस दौरान 558 लोगों की मौत हो चुकी थी.
इस साल जनवरी में भी एक नाव हादसा हुआ था, जिसमें 20 इथियोपियाई प्रवासियों की मौत हो गई थी. लगातार हो रही इन घटनाओं ने प्रवासियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है. कई लोग बेहतर जीवन की तलाश में इस खतरनाक समुद्री रास्ते को अपनाते हैं, लेकिन इस दौरान उन्हें जान गंवाने का खतरा बना रहता है.
IOM और अन्य राहत एजेंसियां लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं. हालांकि, समुद्र की स्थिति और सीमित संसाधनों के चलते बचाव अभियान में कठिनाइयां आ रही हैं. स्थानीय प्रशासन और मछुआरों की मदद से कुछ लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक किसी की सुरक्षित होने की पुष्टि नहीं हुई है.
यमन और जिबूती के अधिकारी भी इस घटना पर नजर बनाए हुए हैं. लगातार हो रही इन नाव दुर्घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की जरूरत जताई जा रही है. प्रवासियों को समुद्री मार्ग से यात्रा करने से रोकने और सुरक्षित विकल्प प्रदान करने की मांग तेज हो रही है.
इस घटना ने एक बार फिर से इस खतरनाक प्रवासी मार्ग पर चर्चा छेड़ दी है. संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों का मानना है कि जब तक अफ्रीकी देशों में स्थिरता और रोजगार के अवसर नहीं बढ़ते, तब तक लोग जोखिम भरी यात्राओं के लिए मजबूर होते रहेंगे. यह घटना प्रवासियों की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है.
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