
नई दिल्ली। कोरोना वायरस वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) अपने रिस्क पर 4 करोड़ डोज तैयार कर चुका है। कंपनी ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन कैंडिडेट Covishield का प्रॉडक्शन कर रही है। SII जनवरी 2021 तक 20-30 करोड़ डोज का स्टॉक तैयार कर लेना चाहती है और सूत्रों के मुताबिक उसका आधा स्थानीय जरूरतों के लिए होगा। यूनाइटेड किंगडम में डिवेलप की गई इस वैक्सीन का UK के अलावा भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका में ट्रायल हो रहा है।
SII और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने गुरुवार को कहा कि Covishield के फेज 3 ट्रायल के लिए देशभर से 1,600 पार्टिसिपेंट्स को एनरोल किया गया है। फेज 2/3 ट्रायल के नतीजों की मदद से ICMR और SII भारत में वैक्सीन की जल्द उपलब्धता की संभावनाएं तलाशेंगे। यह भारत में टेस्ट हो रही अबतक की सबसे ऐडवांस्ड कोरोना वैक्सीन है।
SII ने Gavi, बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को 2021 में कम और मध्य आय वाले देशों के लिए 20 करोड़ डोज सप्लाई करने का सौदा किया है। यह डील 3 डॉलर प्रति डोज के रेट पर हुई है। कंपनी को इसके लिए 300 मिलियन डॉलर की रिस्क फंडिंग मिली है। इस डील के तहत कंपनी भारत और कम व मध्य आय वाले देशों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 वैक्सीन की 10 करोड़ डोज सप्लाई करेगी।
भारत में हो रहे ट्रायल से मुख्यत: वैक्सीन की इम्युनोजेनिसिटी और सेफ्टी का पता चलेगा। वैक्सीन कितनी असरदार है, यह पता लगने में समय लगेगा। यूके में इस वैक्सीन के ट्रायल का डेटा भी भारतीय रेगुलेटर को सबमिट किया जाएगा। अधिकारियों के मुताबिक, भारत भी वैक्सीन के रोलिंग रिव्यू पर विचार कर सकता है ताकि वैक्सीन को फास्ट-ट्रैक अप्रूवल मिल सके। हालांकि यह तभी हो पाएगा जब कंपनी इसके लिए अप्लाई करे।
भारत सरकार इस वैक्सीन के अलावा भारत बायोटेक की वैक्सीन से भी उम्मीद लगाए है। वह भी ऐडवांस्ड ट्रायल से गुजर रही है। फाइजर और रूस की Sputnik V वैक्सीन से ज्यादा उम्मीद इसलिए भी नहीं है क्योंकि उन्हें स्टोर करने के लिए बहुत कम तापमान चाहिए। जबकि भारत में ट्रायल से गुजर रहीं दोनों वैक्सीन- Covishield और Covaxin को आसानी से स्टोर किया जा सकता है।
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