
नई दिल्ली. मेघालय (Meghalaya) हाईकोर्ट (High Court) ने 4000 टन (4000 tonnes) से ज्यादा कोयला गायब (coal disappeared) होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई. साथ ही अदालत ने कोयले की निगरानी कर रहे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसी बीच राज्य के एक मंत्री ने सोमवार को कहा कि राज्य में भारी बारिश के कारण कोयला बह गया होगा.
सोमवार को मीडिया से बात करते हुए आबकारी मंत्री किरमेन शायला ने कहा, मेघालय में सबसे ज्यादा बारिश होती है. आप कभी नहीं जानते…बारिश के कारण कोयला बह गया होगा. इसकी संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं. हालांकि, मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह कोयला के गायब होने को सही नहीं ठहराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि अभी तक ये तय करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि नुकसान प्राकृतिक कारणों से हुआ या किसी अवैध एक्टिविटी के कारण हुआ है.
‘ऐसा हो भी सकता है’
उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ़ बारिश को दोष नहीं दे सकता. ऐसा हो भी सकता है और नहीं भी, मेरे पास सच में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि कोयला खनन या परिवहन से संबंधित कोई भी एक्टिविटी कानून के अनुसार होनी चाहिए और अधिकारियों को ये सुनिश्चित करना चाहिए कि अवैध गतिविधियों पर रोक लगाएं.
25 जुलाई को HC ने दिया था आदेश
दरअसल, मेघालय हाईकोर्ट ने 25 जुलाई को राजाजु और डिएंगनागांव गांवों से कोयले के गायब होने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई थी और अवैध रूप से कोयला उठाने वालों का पता लगाने का निर्देश दिया था. अदालत ने कोयले की निगरानी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
वहीं, राज्य में चल रहे अवैध कोयला खनन और परिवहन के आरोपों पर शायला ने कहा कि ऐसे दावों को स्थापित करने के लिए ठोस सबूत की जरूरत है और ऐसी गतिविधियों की निगरानी के लिए कई विभाग जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि यदि हमारे लोगों को जीवित रहने के लिए ऐसा करना है तो वे इसे अवैध रूप से कर सकते हैं… अन्यथा कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहता, जिससे राज्य को नुकसान पहुंचे.’
साइंटिफिक माइनिंग पर जताई खुशी
सरकार द्वारा साइंटिफिक माइनिंग की घोषणा के बाद उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि लोग कानून का पालन करेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम सभी इसका स्वागत करते हुए प्रसन्न हैं और हम इसे साकार होते देखना चाहते हैं. मेरा मानना है कि हमारे लोग ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे अदालत या कानून को हम पर उंगली उठाने का मौका मिले.’
मेघालय में कोयला खनन और परिवहन पर प्रतिबंध राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2014 में लगाया था, जिसमें अनियंत्रित और असुरक्षित खनन प्रथाओं, विशेष रूप से राज्य में प्रचलित विवादास्पद ‘रैट-होल’ खनन तकनीक का हवाला दिया गया था.
न्यायाधिकरण का ये आदेश पर्यावरणीय क्षरण, जल प्रदूषण और खतरनाक खदानों, विशेषकर पूर्वी जैंतिया हिल्स में लगातार हो रही मौतों पर बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर आया था.
वहीं, एक अलग नोट पर मंत्री ने पूर्वी जयंतिया हिल्स में राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर चल रहे निर्माण के कारण धूल और मलबे की शिकायतों का जवाब देते हुए कहा, ‘मैं इस सरकार की पहल की सराहना करता हूं. अभी के लिए ये मुश्किल है, लेकिन एक बार सब कुछ पूरा हो जाने के बाद, हम इसके लाभों का आनंद लेंगे.’
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