
इंदौर (Indore)। चुनावी वर्ष में सरकारी आयोजनों में जुटे अधिकारी आम जनता के काम जैसे भूल ही गए हैं। पिछले एक साल से 406 और बीते छह महीने से 1194 सीमांकन लम्बित ही पड़े हुए हैं। एक दिन में 450 से अधिक सीमांकन कर खुद को सुपरमैन साबित करने वाले आरआई पटवारी भी सुस्त पड़ गए हैं। पिछले महीने का पांच हजार पेन्डिंग का आंकड़ा बढक़र 5754 तक पहुंच गया है।
लाड़ली बहना, जी-20, जनसंवाद शिविर जैसे आयोजनों में मैदानी स्तर पर लगे अधिकारी और कर्मचारियों की व्यस्तता इतनी है कि वे अपने मूल काम को ही करना भूल गए हैं। इंदौर जिले में हर दिन प्रोटोकाल के तहत आने वाले नेताओं, अधिकारियों की खिदमत और व्यवस्थाओं में लगे रहने के कारण अव्यवस्थाओं का खामियाजा आम आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है।
नामांकन, बंटांकन, सीमांकन जैसे मामलों में पेन्डेन्सी बढ़ती जा रही है। अग्निबाण ने प्रमुखता से सीमांकन में पांच हजार की पेन्डेन्सी की खबर का उल्लेख किया, तो कलेक्टर के निर्देश पर पिछले एक सप्ताह आरआई और पटवारी सुपरमैन की तरह प्रकरणों को निपटाने कूद पड़े, लेकिन वह जोश चंद दिनों में ही काफूर हो गया। इंदौर जिले में अब तक सीमांकन 5754, नामांतरण 6776, बंटवारे में 853 पेन्डेन्सी पड़ी हुई है। पिछले महीने की रिपोर्ट के आधार पर बंटांकन में 695 मामले तीन महीने से निराकरण की राह देख रहे हैं, वहीं सीमांकन और नामांतरण में क्रमश: 4144 व 288 मामले पेन्डिंग पड़े हैं।
सीएम हेल्पलाइन में भी आंकड़ा गड़बड़ाया
प्रति सोमवार कलेक्टर द्वारा राजस्व मामलों सहित सीएम हेल्पलाइन के मामलों के निराकरण को लेकर समीक्षा की जाती है, लेकिन इस समीक्षा का कार्यप्रणाली पर कितना असर पड़ता है, इस पर भी सवालिया निशान लगे हुए हैं। इंदौर जिले में जितनी तेजी से क्षेत्र व जनसंख्या में वृद्धि हुई है, उतनी तेजी से प्रकरणों को निपटना में तेजी नहीं आई है। सीएम हेल्पलाइन में जून के आखिर तक 13160 प्रकरण लम्बित पड़े हुए हैं, वहीं 50 दिवस से अधिक के प्रकरणों में 4035 मामले हैं, वहीं 50 दिन से ज्यादा के मामलों में 11590 प्रकरण लम्बित हैं।
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