
इंदौर। सिंहस्थ के मद्देनजर इंदौर-उज्जैन के बीच एक और नया फोरलेन निर्मित किया जा रहा है। ग्रीन फील्ड तकनीक से बनने वाले इस फोरलेन की कुल लम्बाई 48 किलोमीटर रहेगी, जो कि इंदौर एयरपोर्ट से शुरू होकर चिंतामण गणेश उज्जैन तक निर्मित किया जाएगा और 1370 करोड़ रुपए इसकी लागत आएगी। एमपीआरडीसी इस फोरलेन का निर्माण कर रही है, जिसमें 29 गांवों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही है। अभी इंदौर कलेक्टर ने जिले के 20 गांवों के भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करवाई है, जिसमें सांवेर, हातोद व अन्य तहसील के गांव शामिल हैं। लगभग 1 हजार एकड़ जमीन दोनों जिलों की अधिग्रहित की जाएगी, जिसमें सबसे अधिक जमीनें इंदौर जिले की शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुरूप यह नया फोरलेन निर्मित किया जा रहा है, जिसकी कुछ समय पूर्व कैबिनेट से मंजूरी हो गई और सडक़ निर्माण का जिम्मा मध्यप्रदेश सडक़ विकास निगम यानी एमपीआरडीसी को सौंपा गया है। इंदौर एयरपोर्ट से यह फोरलेन शुरू होगा, जो कि चंद्रावतीगंज, अजनोद, खजुरिया, हातोद होते हुए चिंतामण गणेश पहुंचेगा। इस फोरलेन के बनने से इंदौर एयरपोर्ट से 30 मिनट में उज्जैन पहुंचा जा सकेगा और पीथमपुर का औद्योगिक क्षेत्र भी इससे सीधा जुड़ सकेगा। वर्तमान में इंदौर-उज्जैन के फोरलेन को भी सिक्स लेन में परिवर्तित किया जा रहा है, तो क्षिप्रा-देवास होते हुए भी नेशनल हाईवे ने फोरलेन निर्मित कर दिया है। अब उसके अलावा यह नया ग्रीन फील्ड फोरलेन बनाया जाएगा। 48 किलोमीटर इस फोरलेन पर 1370 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।
इसमें 20 गांवों की जमीनें इंदौर जिले की और 9 गांवों की जमीनें उज्जैन जिले की शामिल रहेंगी, जिसके चलते भू-अर्जन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने धारा 11 के तहत पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन अधिनियम 2013 के तहत यह प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें सडक़ निर्माण के लिए जो निजी जमीनें आ रही है उनके खसरे और रकबे का प्रकाशन किया है और 60 दिन में दावे-आपत्तियां भी आमंत्रित की गई है। इसमें सांवेर के बीबीखेड़ी, कछालिया, खतेडिय़ा, बालरिया, चित्तौड़ा, हरियाखेड़ी, टुमनी, बलधारा, पोटलोद, रतनखेड़ी, मगरखेड़ी,रालामंडल, पिपल्या कायस्त, रंगकराडिय़ा की जमीनें तो शामिल है ही, वहीं हातोद तहसील की जिंदाखेड़ा, कांकरिया, बोर्डिया, बुड़ानिया, जम्बुर्डी सरवर और सागवाल सहित अन्य गांवों की जमीनें अधिग्रहित की जा रही है। लगभग 350 हेक्टेयर यानी लगभग 1 हजार एकड़ जमीनों का अधिग्रहण इस फोरलेन के लिए करना पड़ेगा, जिसकी प्रक्रिया जिला प्रशासन ने शुरू कर दी है, जिसमें सबसे अधिक जमीनें इंदौर जिले की अधिग्रहित की जाएगी, जो कि 20 गांवों की है। वहीं उज्जैन जिला प्रशासन 9 गांवों की जमीनें अधिग्रहित कर रहा है।
सिंहस्थ 2028 के मद्देनजर इस एक और फोरलेन को निर्मित किया जा रहा है, क्योंकि सबसे अधिक उज्जैन सिंहस्थ का दबाव इंदौर पर ही रहेगा और इस नए फोरलेन की कनेक्टीविटी एयरपोर्ट, सुपर कॉरिडोर के साथ-साथ पीथमपुर इंडस्ट्रीयल एरिया से आ रही सडक़ से भी रहेगी। वर्तमान में लवकुश चौराहा से उज्जैन के बीच जो पुरानी फोरलेन रोड है उसे भी सिक्स लेन में परिवर्तित करने की जिम्मेदारी एमपीआरडीसी को सौंपी गई है। वहीं दूसरी तरफ कोटा जाने के लिए नेशनल हाईवे ने जो फोरलेन बनाया है वह देवास-क्षिप्रा से जाता है और इस रोड का इस्तेमाल भी अब उज्जैन जाने के लिए अधिकांश इंदौरी करने लगे हैं, क्योंकि इस पर फिलहाल यातायात का दबाव बहुत कम है। पिछले दिनों नए ग्रीन फील्ड फोरलेन की डीपीआर तैयार होने के बाद भू-अर्जन की प्रक्रिया भी शुरू की गई और 1370 करोड़ रुपए की राशि इस पर खर्च की जा रही है। यह नया फोरलेन ग्रीन फील्ड तकनीक पर मय पेवड शोल्डर निर्मित किया जा सकेगा और इसके जरिए मात्र 30 मिनट में इंदौर एयरपोर्ट से उज्जैन पहुंचा जा सकेगा। इंदौर कलेक्टर ने भू-अर्जन की प्रारम्भिक अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें किन गांवों की जमीनें शामिल हैं उसके खसरा नम्बरों के साथ रकबे का प्रकाशन दावे-आपत्तियों के लिए करवा दिया है।
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