
इंदौर। प्राधिकरण बोर्ड ने तीन महीने पहले अहिल्या पथ निर्माण के लिए 5 टीपीएस योजनाएं घोषित की। बोर्ड संकल्प के बाद इनकी मंजूरी का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, मगर अभी तक भोपाल से ना तो कोई मंजूरी मिली और ना ही संशोधन से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त हुई है। हालांकि अभी शासन के पास भी अभी 2 से 3 महीने की समय सीमा बची है। 15 किलोमीटर लम्बे और 75 मीटर चौड़े अहिल्या पथ के लिए दोनों तरफ 300-300 मीटर की गहराई में निजी और सरकारी जमीनें ली जाएंगी और इन पांचों योजनाओं में लगभग साढ़े 3 हजार एकड़ जमीन शामिल होगी। इस योजना को लेकर काफी हल्ला भी मचा और प्राधिकरण पर जानकारी लीक करने के भी आरोप लगे।
नगर तथा ग्राम निवेश ने भी हर बार की तरह जमीनी जादूगरों का साथ दिया और टीपीएस योजना में जो जमीनें आ रही थी उनमें से लगभग 100 एकड़ पर अभिन्यास भी मंजूर कर डाले, जिसका खुलासा सबसे पहले अग्रिबाण ने ही किया था। किसानों की बजाय शहरी जमीनी जादूगरों, जिनमें बिल्डर, कालोनाइजर, निवेशक शामिल रहे, उन्होंने जमीनें खरीदकर दो दर्जन से ज्यादा अभिन्यासों की मंजूरी भी करवा ली और इनमें से कुछ जमीन मालिक पिछले दिनों हाईकोर्ट भी गए। हालांकि फिलहाल वहां से राहत नहीं मिली।
ग्राम रीजलाय से रेवती तक इंदौर के मास्टर प्लान में जो 15 किलोमीटर लम्बी और 75 मीटर चौड़ी सडक़ प्रस्तावित की गई है उसके निर्माण के लिए ये 5 टीपीएस योजनाएं अमल में लाई जाएगी और इसे अहिल्या पथ नाम दिया गया है। धारा 50 (1) के तहत इन योजनाओं का नोटिफिकेशन भी हो गया है और कलेक्टर आशीष सिंह ने अभिन्यास मंजूरी पर भी रोक लगा दी है। इसमें अहिल्या पथ-1 के तहत 157 हेक्टेयर जमीन नैनोद, रीजलाय, जम्बुर्डी हप्सी की शामिल की गई है, तो अहिल्या पथ-2 के तहत 286 हेक्टेयर जमीन बुड़ानिया, बड़ा बांगड़दा, जम्बुर्डी हप्सी और पालाखेड़ी की शामिल है। इसी तरह अहिल्या पथ 3 में 204 हेक्टेयर जमीन पालाखेड़ी, बुड़ानिया और बड़ा बांगड़दा की शामिल है, तो इसी तरह अहिल्या पथ-4 में 350 हेक्टेयर जमीनें शामिल की गई। इसमें भी पालाखेड़ी के अलावा लिम्बोदागारी और बड़ा बांगड़दा की जमीनों को शामिल किया गया। वहीं अहिल्या-5 में 172 हेक्टेयर जमीनें ग्राम भौंरासला, लिम्बोदागारी, रेवती और बरदरी की शामिल की गई है। इस तरह इन पांचों योजनाओं में 1170 हेक्टेयर यानी लगभग साढ़े 3 हजार एकड़ जमीनें शामिल है और इन योजनाओं के विकास कार्यों पर 2700 करोड़ रुपए से अधिक प्राधिकरण द्वारा खर्च किए जाएंगे। अब शासन कब तक इस संबंध में मंजूरी देता है, यह देखना होगा।
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