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MP में 50000 घोस्ट कर्मचारियों का खुलासा, जीतू पटवारी का दावा- ’12 हजार करोड़ का घोटाला’

June 07, 2025

भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में सरकारी (Government) वेतन प्रणाली (Salary System) को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. सरकार के डेटा में दर्ज 50 हजार से अधिक ऐसे कर्मचारी (Employee) सामने आए हैं, जिनके पास एक्टिव एम्प्लॉयी कोड (Active Employee Code) तो हैं, लेकिन उनकी जमीनी उपस्थिति, पहचान या पदस्थापन का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इसी को लेकर कांग्रेस (Congress) ने प्रदेश की बीजेपी सरकार पर 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप लगाते हुए इसे प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा ‘घोटाला करार’ (Scam Agreement) दिया है.

सरकार के HRMS सिस्टम में 40 हजार रेगुलर कर्मचारी हैं. इसके अलावा 10 हजार टेम्परेरी स्टाफ हैं. इन 50 हजार कर्मचारियों की सैलरी दिसंबर 2024 के बाद से जारी नहीं हुई, लेकिन इनके एम्प्लॉयी कोड आज भी एक्टिव हैं. यानी ये कोड किसी भी दिन सैलरी निकालने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं. 230 करोड़ की सैलरी फ्रीज है, लेकिन शक कहीं ज्यादा बड़े नेटवर्क पर है. 6000 से अधिक DDOs की भूमिका जांच के दायरे में है. सवाल यह जोर पकड़ रहा है कि क्या ये सिस्टम में तकनीकी चूक है या सुनियोजित घोटाले का हिस्सा? कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार ने घोटालों की फैक्ट्री खोल रखी है.


प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, “यह ₹230 करोड़ नहीं बल्कि 12 हजार करोड़ का सुनियोजित सैलरी घोटाला है. यह सिर्फ आंकड़ों में नहीं, खजाने की लूट है. हम इस मामले में CBI जांच की मांग करते हैं. हमें CBI पर भी भरोसा नहीं है नर्सिंग घोटाले में CBI अफसर ही रिश्वत लेते पकड़ा गया था. अब हम कोर्ट का रुख करेंगे.

कांग्रेस के इस हमले पर प्रदेश सरकार ने सफाई पेश करते हुए कहा कि जब हमने सरकार से इस बारे में पूंछा तो मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि यह मामला अब हमारे संज्ञान में है. तुरंत जांच के निर्देश दिए गए हैं. किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा.

ताज्जुब की बात यह है कि कर्मचारियों के सैलरी कोड एक्टिव हैं, पर कर्मचारी नदारद हैं. कई कर्मचारियों के नाम, पद और आईडी नंबर मौजूद हैं. पर वे किस विभाग में कार्यरत हैं, कब रिपोर्ट करते हैं, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. इनका डाटा भी अधूरी जानकारी के साथ पोर्टल में अटका हुआ है. साफ है कि अगर कोड एक्टिव हैं तो कोई भी कागजों पर वेतन निकाल सकता है, चाहे कर्मचारी जिंदा हो, सेवानिवृत्त हो या कभी अस्तित्व में ही न रहा हो.

घोटाले को लेकर पांच अहम सवाल

  1. क्या सरकार इतने समय तक इस तकनीकी चूक से अनजान थी?
  2. अगर ये घोटाला नहीं है तो 50,000 फर्जी कोड क्यों एक्टिव हैं?
  3. क्या कर्मचारियों के नाम पर किसी और को सैलरी दी जा रही थी?
  4. क्या यह नेटवर्क विभागीय स्तर तक सीमित है या बड़े स्तर पर फैला है?
  5. क्या सरकार इस जांच को पारदर्शिता से पूरी करेगी या रफादफा किया जाएगा?

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