
आज आपत्तियों को प्रस्तुत करने का अंतिम दिन, पात्र-अपात्र के नियम का कोई खुलासा ही नहीं
इंदौर। विवादित और चर्चित देवी अहिल्या (Devi Ahilya) श्रमिक कामगार सहकारी संस्था की पिछले दिनों जो पात्र-अपात्रों (eligible-ineligible) की सूची जारी हुई, वह विवादों में घिर गई है। संस्था द्वारा जो दावे-आपत्तियां (Claims and objections) आमंत्रित की गई उसका आज अंतिम दिन है और ये आपत्तियां संस्था के अयोध्यापुरी स्थित कार्यालय पर ली जा रही है। सहकारिता विभाग की सूची में 517 कुल सदस्यों का उल्लेख किया गया, जिसमें पात्र और अपात्र दर्शाए गए और उसके साथ ही कारण भी स्पष्ट किए गए। मगर संस्था ने जो सूची पिछले दिनों जारी की उसमें 363 भूखंड पात्र बताए और सहकारिता की सूची से 54 भूखंड अधिक पात्र घोषित कर दिए। मगर किस नियम, अदालती आदेश, सक्षम स्वीकृति या दस्तावेजों के आधार पर इन्हें पात्र किया गया उसका कहीं कोई उल्लेख किया गया।
इसी तरह अपात्र भूखंडों के संबंध में भी कोई जानकारी स्पष्ट नहीं की गई, जिसके चलते बड़ी संख्या में आपत्तियां दर्ज कराई जा रही है और प्रशासन के साथ-साथ सहकारिता विभाग भी स्पष्ट कर चुका है कि संस्था की पूरी सूची की पूरी गंभीरता से जांच कराएंगे, उसके बाद ही उसे मान्यता देंगे। संस्था की दो कॉलोनियों अयोध्यापुरी के साथ श्रीमहालक्ष्मी नगर की भी सूची जारी की गई है। अभी संस्था की वार्षिक साधारण सभा भी 24 सितम्बर को सुबह साढ़े 9 बजे रविन्द्रनाट्यगृह में आयोजित की गई है, जिसमें वरीयता सूची प्राप्त होने के बाद पात्र-अपात्रों का निर्धारण कर जो सूची 25.08 को सहकारिता विभाग को भेजी गई उस पर भी इस साधारण सभा में निर्णय पारित किया जाएगा। साथ ही निगम, प्राधिकरण, नजूल सहित अन्य विभागों से कॉलोनियों के नियमितीकरण सहित अयोध्यापुरी की जमीन योजना 77 के संबंध में डिनोटिफिकेशन की प्रक्रिया प्राधिकरण से करवाने, इसी तरह योजना 134 खजराना में श्री महालक्ष्मी नगर के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश और समाविष्ट जमीन के बदले 20 फीसदी क्षेत्रफल प्राप्त करने के अलावा योजना 171 के संबंध में जो राशि संस्था द्वारा जमा की गई उसकी मंजूरी लेने सहित अन्य विषयों पर निर्णय लिए जाना है। सहकारिता विभाग ने जहां 309 भूखंड जहां रसीद सहित पात्र बताए, तो संस्था ने 363। इस तरह संस्था पर काबिज पदाधिकारियों ने मनमर्जी से 54 भूखंड अधिक पात्र कर दिए, तो अपनी सूची में पात्र-अपात्रों के मापदंडों का कोई ठोस या स्पष्ट कारण भी नहीं बताया।
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