
सुप्रीम कोर्ट आदेश की प्राधिकरण सम्पदा अधिकारी ने की मनचाही व्याख्या, सीईओ ने आदेश पढ़वाकर लगाई फटकार, आज शिविर लगाकर प्रकरणों के निराकरण के आदेश भी दिए
इंदौर। प्राधिकरण (Authority) का प्रशासनिक ढर्रा (Administrative Structure) पूरी तरह से चरमराया हुआ है। महत्वपूर्ण पदों पर जहां अफसर ही नहीं हैं, तो दूसरी तरफ रजिस्ट्री, नामांतरण, लीज नवीनीकरण (Lease Renewal) से लेकर अन्य कामों के लिए आबंटिती भटकते नजर आते हैं। ब्लड कैंसर ( Blood Cancer) का एक मरीज बीते 4 महीने से अपने पिता की मृत्यु के बाद वसीयत के आधार पर नामांतरण के लिए चक्कर काट रहा था। जब सीईओ (CEO) से मिला तो पता चला कि सम्पदा अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के किसी आदेश की मनमानी व्याख्या करते हुए सिविल कोर्ट से डिक्री कराकर लाने का कह दिया। सीईओ ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़वाया और अधिकारी-कर्मचारियों को कड़ी फटकार भी लगाई और अब हर बुधवार-गुरुवार को शिविर लगाकर ऐसे लम्बित प्रकरणों के निराकरण के निर्देश भी जारी किए।
प्राधिकरण की सम्पदा शाखा सबसे अधिक बदनाम रही है, जहां पहले टेंडरों में उपकृत करने के आरोप भी लगते रहे हैं, तो पुराने आबंटितों को लीज नवीनीकरण, नामांतरण, रजिस्ट्री से लेकर अन्य कामों के लिए चक्कर लगाना पड़ते हैं और फिर कई लोग मजबूरन दलालों के चंगुल में फंसते हैं। अभी एक ही बाबू के पास 60 रजिस्ट्रियां कल सीईओ आरपी अहिरवार ने पेंडिंग पाई और जब फटकार लगाई तो ताबड़तोड़ कुछ रजिस्ट्रियां करवा भी दी। इसी तरह ब्लड कैंसर का एक मरीज भी सीईओ से मिला और जब उसके प्रकरण की फाइल निकलवाई तो सम्पदा अधिकारी मनीष श्रीवास्तव की उस पर यह टीप लिखी मिली कि सुप्रीम कोर्ट आदेशानुसार सिविल कोर्ट से डिक्री करवाकर लाएं। यह टीम पढक़र पहले तो सीईओ श्री अहिरवार भी चौंके कि यह कैसे संभव है कि वसीयत के आधार पर हर नामांतरण करवाने वाला सिविल कोर्ट जाकर डिक्री लाएगा। उन्होंने तुरंत ही सम्पदा अधिकारी को फोन लगाकर फटकारा और बाबुओं को भी बुलाकर दो टूक कहा कि लोगों को परेशान करना बंद करें। सुप्रीम कोर्ट आदेश की हकीकत भी जब सीईओ ने पता की तो आदेश में यह कहा गया है कि जो टाइटल विवादित हो या पारिवारिक झगड़े की जानकारी सामने आए, ऐसे मामलों में सिविल कोर्ट में वाद लगाया जाना चाहिए। लेकिन सम्पदा अधिकारी ने इसकी मनचाही व्याख्या करते हुए हर वसीयत के आधार पर नामांतरण की हर फाइल में सिविल कोर्ट से डिक्री करवाकर लाने की टीप लिख दी, जिसके चलते महीनों से ऐसे नामांतरण ही नहीं हो पा रहे हैं। सीईओ ने सुप्रीम कोर्ट आदेश को पढक़र सुनाया और समझाया कि हर प्रकरण में यह आदेश लागू नहीं होता है। इतना ही नहीं, सीईओ ने नवीनीकरण, नामांतरण, रजिस्ट्री से लेकर जो 10 हजार से अधिक लम्बित प्रकरण हैं उन्हें अब तय समय सीमा में निराकरण करने के निर्देश भी दिए और इसके लिए बुधवार-गुरुवार का दिन तय करवाया, जिसकी शुरुआत आज से ही हो रही है। आज 11 से 5 बजे के बीच सम्पदा अधिकारी और कर्मचारी ऐसे लम्बित प्रकरणों का निराकरण करवाएंगे। प्राधिकरण अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा ने भी सम्पदा शाखा के लम्बित प्रकरणों की समीक्षा की और कड़े निर्देश के साथ समयबद्ध अभियान चलाकर इनका निराकरण करने को कहा।
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