
नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) का नया शेर दुश्मन को फाड़ने के लिए तैयार हो रहा है. एक ऐसा शेर, जिसे भारत ने रूस (Russia) की मदद से तैयार किया है. ये शेर एक असॉल्ट राइफल (Assault Rifle) है जिसे उत्तर प्रदेश के अमेठी में तैयार किया जा रहा है, और एक मिनट में 700 दुश्मनों को एक साथ ढेर कर सकता है. यूपी के अमेठी स्थित कोरबा प्लांट (Korba Plant) में रूस की मदद से तैयार की जा रही है स्वदेशी AK203 राइफल. करीब 6 लाख राइफल इस प्लांट में भारतीय सेना के लिए तैयार की जा रही हैं.
इनमें से 48 हजार अब तक सेना को सप्लाई हो चुकी हैं. इस साल के अंत तक 70 हजार देनी है. अभी इस राइफल में 50 प्रतिशत स्वदेशी मटेरियल है. दिसंबर 2025 में जब 100 प्रतिशत स्वदेशी मटेरियल इस्तेमाल होगा तो इसे ‘शेर’ के नाम से जाना जाएगा. 2032 तक पूरी तरह पुरानी पड़ चुकी इन्सास राइफल की जगह भारतीय सैनिकों के हाथ में एके 203 पहुंच जाएगी. यानी एक राइफल, श्रेष्ठ राइफल.
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मेक इन इंडिया के तहत एके-203 असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए यूपी के कोरवा में एक साझा प्लांट का उद्घाटन किया था. इसके लिए दोनों देशों ने 5200 करोड़ का करार किया था. वर्ष 2020 में गलवान घाटी की झड़प और पूर्वी लद्दाख में चीन से शुरु हुए विवाद के चलते भारतीय सेना को आनन-फानन में अमेरिका से 72-72 हजार सिग-सोर राइफल्स की खेप का दो बार ऑर्डर भी देना पड़ा था. साल 2024 में एक बार फिर से राइफल निर्माण ने तेजी पकड़ी और सेना को राइफलों की खेप पहुंचाई गई.
सेना के अलावा राज्यों की पुलिस और केंद्रीय पुलिसबलों मे भी एके-203 खरीदने का होड़ मच गई है. हाल ही में केरल पुलिस ने एके-203 खरीदने का टेंडर जारी किया है. मौजूदा थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी एक-203 के भारत में बनाए जाने में अहम भूमिका निभाई थी. भारतीय सेना की इन्फेंट्री महानिदेशालय के डीजी के तौर पर जनरल द्विवेदी ही रूस में शुरूआती वार्ता के लिए गए थे और रूस को एके सीरिज की सबसे आधुनिक और उन्नत वर्जन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के लिए तैयार किया था. जिस तरह एके-47, 1947 मॉडल की गन है, एके-203, 2019 का वर्जन है.
कोरबा प्लांट का लक्ष्य हर साल 70 हजार राइफल के निर्माण का है (प्रतिदिन 600). इस साल के अंत तक सेना को 70 हजार राइफल मिलने की उम्मीद है. इसके बाद सभी एके-203 राइफल, पूरी तरह स्वदेशी होंगी. प्लांट में फिलहाल 550 लोग काम करते हैं, इनमें से 12 रशियन हैं. सीएफओ सहित कुल 3 रूसी, कंपनी के बोरेड ऑफ डायरेक्टर में शामिल हैं. बाकी 90 प्रतिशत स्थानीय अमेठी के ही रहने वाले हैं.
इस प्लांट में ही फायरिंग रेंज और क्वालिटी कंट्रोल लैब है. इस दौरान एक महिला कर्मचारी ने फायरिंग का प्रदर्शन किया. एके-203 बेहद हल्की गन है. इसका वजन महज 3.6 किलोग्राम है. ये 7.62x .39 एमएम की राइफल है जिसकी रेंज करीब 800 मीटर है. एके-203 एक मिनट में 700 राउंड फायरिंग कर सकती है. इस प्लांट में फायरिंग ड्रिल के दौरान ऐसी एके-203 राइफल को भी दिखाया गया, जो 15 हजार राउंड फायर कर चुकी हैं यानी अपनी लाइफ पूरी कर चुकी हैं. बावजूद इसके पूरी तरह काम कर रही है. अधिकारियों के मुताबिक एके-203 करीब 40 हजार राउंड फायर कर सकती है.
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