
डेस्क: जीएसटी रिफॉर्म (GST Reform) पर अभी सिर्फ ऐलानभर हुआ है. 3 और 4 सितंबर को होने वाली मीटिंग (Meeting) में इस पर फैसला होगा. ऐलान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया है, तो काउंसिल (Council) की मीटिंग में इसे हरी झंडी मिलना तय है, लेकिन देश के विपक्ष के 8 राज्य ऐसे हैं, जो अपनी टांग अड़ा सकते हैं. साथ ही जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में अपनी डिमांड भी सामने रख सकते हैं. वास्तव में विपक्ष शासित राज्यों (State) का कहना है कि केंद्र के जीएसटी दर में बदलाव के प्रस्ताव से लगभग 1.5 करोड़ रुपए से दो लाख करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू का नुकसान हो सकता है. ऐसे में इन राज्यों ने केंद्र से खुद को होने वाले नुकसान की भरपाई करने की मांग की.
जीएसटी रिफॉर्म के मामले में हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल – के वित्त मंत्रियों ने तीन-चार सितंबर को जीएसटी काउंसिल की होने वाली अगली बैठक में अपना प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया. दरों को युक्तिसंगत बनाने और राजस्व तटस्थता को संतुलित करने के उनके प्रस्ताव में मौजूदा कर भार को बनाए रखने के लिए प्रस्तावित 40 फीसदी दर के अलावा अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का सुझाव दिया गया है. विपक्ष शासित राज्यों ने मांग की कि इस शुल्क से मिलने वाली आय राज्यों के बीच वितरित की जानी चाहिए.
इन आठ राज्यों की बैठक के बाद कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि प्रत्येक राज्य को अपने मौजूदा वस्तु एवं सेवा कर रेवेन्यू में 15-20 फीसदी की कमी आने की आशंका है. बायरे गौड़ा ने कहा कि जीएसटी रेवेन्यू में 20 फीसदी की कमी देश भर की राज्य सरकारों के राजकोषीय ढांचे को गंभीर रूप से अस्थिर कर देगी. उन्होंने कहा कि राज्यों को रेवेन्यू स्थिर होने तक पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए. मंत्री ने कहा कि जब जीएसटी लागू किया गया था, तब राजस्व तटस्थ दर 14.4 प्रतिशत थी.
बाद में कर दरों को युक्तिसंगत बनाने के बाद कराधान की शुद्ध दर घटकर 11 प्रतिशत हो गई. केंद्र के जीएसटी दरों को कम करने और स्लैब में कटौती करने के वर्तमान प्रस्ताव से कराधान की शुद्ध दर घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगी. बायरे गौड़ा ने कहा कि राज्यों के राजस्व हितों की रक्षा की जानी चाहिए. अगर राज्य सरकार के राजस्व को गंभीर नुकसान होता है, तो लोग प्रभावित होंगे, विकास कार्य प्रभावित होंगे और अपर्याप्त राजस्व राज्य की स्वायत्तता को भी नुकसान पहुंचाएगा.
केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि जीएसटी को पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत दर वाली दो स्तरीय कर संरचना बनाया जाए. इसके अलावा अहितकर और विलासिता वाली कुछ चुनिंदा वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की दर प्रस्तावित की गई है. हिमाचल प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि हम दरों को युक्तिसंगत बनाने के प्रस्ताव से सहमत हैं, लेकिन हमें भी मुआवजा मिलना चाहिए. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भी मांग की कि मुनाफाखोरी का पता लगाने के लिए एक व्यवस्था स्थापित किया जाए ताकि दरों को युक्तिसंगत बनाने का लाभ आम आदमी तक पहुंच सके. इन राज्यों ने मांग की कि राजस्व संरक्षण की गणना के लिए आधार वर्ष 2024-25 तय किया जाए.
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