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Supreme Court का बड़ा फैसला, 18 साल नहीं, ग्रेजुएशन तक करनी होगी बेटे की परवरिश

March 05, 2021

नई दिल्‍ली । स्नातक (Graduation) को न्यू बेसिक एजुकेशन करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक व्यक्ति को अपने बेटे को 18 वर्ष नहीं, बल्कि उसके स्नातक होने तक परवरिश करने को कहा है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने बृहस्पतिवार को परिवार अदालत (Family Court) के उस आदेश को बदल दिया है, जिसमें कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मी को बेटे को 18 वर्ष की आयु तक शिक्षा के मद में होने वाले खर्चों का वहन करने के लिए कहा गया था।


शीर्ष अदालत ने स्नातक को न्यू बेसिक एजुकेशन करार दिया, परिवार अदालत के फैसले को पलटा
पीठ ने कहा, महज 18 वर्ष तक की आयु तक ही वित्तीय मदद करना आज की परिस्थिति में पर्याप्त नहीं है, क्योंकि अब बेसिक डिग्री (Basic Degree) कॉलेज समाप्त करने के बाद ही प्राप्त होती है।

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले इस कर्मी का जून 2005 में पहली पत्नी से तलाक हो गया था, जिसके बाद फैमिली कोर्ट ने सितंबर, 2017 में बच्चे की परवरिश के लिए उस शख्स को 20 हजार रुपये प्रति महीने देने का आदेश दिया था। बाद में उसने हाईकोर्ट (High Court) का दरवाजा खटखटाया था। राहत नहीं मिलने पर उस शख्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

सरकारी कर्मी ने कहा, वेतन ही 21 हजार तो कैसे दें 20 हजार
सरकारी कर्मी ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि उसके हाथ में आने वाला वेतन ही करीब 21 हजार है। हमारे मुवक्किल ने दूसरी शादी कर ली है और दूसरी शादी से उसे दो बच्चे हैं, ऐसे में पहली शादी से जन्मे बेटे को प्रति महीने 20 हजार रुपये देना असंभव है। सरकारी कर्मी की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा, हमारे बीच तलाक इसलिए हुआ था, क्योंकि पत्नी का किसी दूसरे व्यक्ति से अवैध संबंध था। पीठ ने इस दलील को ठुकराते हुए कहा कि आप इसके लिए बच्चे को दोष नहीं दे सकते। पीठ ने यह कहा कि जब आपने दूसरी शादी की तो आप यह भलीभांति जानते होंगे कि आपको पहली शादी से जन्मे बच्चे की भी देखभाल करनी है।

10 हजार रुपये प्रति माह देने को कहा
कोर्ट में बच्चे व मां की ओर से पेश वकील गौरव अग्रवाल ने कहा, बेहतर यह होगा अगर पिता को हर महीने रखरखाव (Maintenance) के लिए कम राशि देने का निर्देश दिया जाए, लेकिन रखरखाव की राशि स्नातक की डिग्री लेने तक जारी रहे।

पीठ ने इस प्रस्ताव को उचित बताते हुए शख्स को मार्च, 2021 से बेटे के रखरखाव के लिए 10 हजार रुपये महीने देने के लिए कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि हर वित्त वर्ष में इस राशि में एक रुपये का इजाफा करना होगा।

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