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Covid-19 की तीसरी लहर का बच्चों पर नहीं पड़ेगा ज्यादा असर, विशेषज्ञों ने बताई वजह

June 13, 2021

नई दिल्ली: कोरोना (Corona) की दूसरी लहर (Second Wave) से राहत पाने के बीच खबरें आ रही हैं कि कुछ ही महीनों में तीसरी लहर (Third Wave) देश में दस्‍तक दे सकती है, जो कि बच्‍चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है. इन खबरों ने लोगों में खासी दहशत फैला दी है क्‍योंकि दूसरी लहर ने हजारों जिंदगियां लील लीं और मौतों का यह सिलसिला अभी भी जारी है. हालांकि तीसरी लहर को लेकर एक राहत भरी खबर आई है कि संभावित तीसरी लहर के बच्‍चों (Children) पर गंभीर प्रभाव डालने के ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं.

मेडिकल सांइस फील्‍ड की प्रतिष्ठित मैगजीन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने भारतीय बच्‍चों में कोविड-19 बीमारी को लेकर अध्ययन किया है. स्‍टडी में भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) से संक्रमित बच्चों में उसी प्रकार के लक्षण पाए गए हैं, जैसा कि दुनिया के अन्य देशों में देखने को मिले हैं. अधिकांश बच्‍चों में लक्षण नहीं थे, वहीं कई बच्चों में संक्रमण (Infection) के हल्के लक्षण देखने को मिले. कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अधिकतर बच्चों में बुखार और सांस संबंधी परेशानियां भी देखने को मिली. इसके अलावा डायरियाह, उल्टी और पेट में दर्द की भी समस्‍याएं बच्‍चों को हुईं.

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चूंकि देश में कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर में कितने बच्चे संक्रमित हुए और कितने अस्पताल में भर्ती हुए, इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़े तैयार नहीं किए गए हैं. लिहाजा स्‍टडी के लिए तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के 10 अस्पतालों में इस दौरान भर्ती हुए 10 साल से कम उम्र के करीब 2600 बच्चों के क्लीनिकल डेटा का विश्‍लेषण करके यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इनके मुताबिक 10 साल से कम उम्र के बच्चों में कोविड-19 के कारण होने वाली मृत्यु दर 2.4 प्रतिशत रही. वहीं इन बच्‍चों में 40 फीसदी किसी न किसी गंभीर बीमारी से भी पीड़ित थे.

लैनसेट की रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की दोनों लहरों में 10 साल से कम उम्र के 9 फीसदी बच्‍चों में बीमारी के गंभीर लक्षण मिले. इस स्‍टडी में एम्स के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.शेफाली गुलाटी, डॉ.सुशील के.काबरा और डॉ.राकेश लोढ़ा ने हिस्‍सा लिया. डॉ. काबरा ने कहा, ‘महामारी की तीसरी संभावित लहर में संक्रमित होने वाले 5 प्रतिशत से भी कम बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत पड़ेगी, वहीं मृत्यु दर 2 प्रतिशत तक हो सकती है.’

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