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इस बार कब मनाया जाएगा गणेश जन्‍मोत्‍सव? जानें तिथि व महत्‍व

भगवान गणेश सभी देवो में प्रथम पूजीनय है और साथ ही भगवान गणेश का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्‍लास व श्रद्वाभाव के साथ मनाया जाता है। बिघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का जन्मोत्सव पूरे भारतवर्ष में “गणेश चतुर्थी” के रूप में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। पूरे भारत में गणेश चतुर्थी से लेकर अगले दस दिनों तक जमकर उत्साह देखा जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी सेलिब्रेशन 10 सितंबर को किया जाएगा। 11 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का समापन 21 सितंबर को होगा। मुख्य तौर पर यह त्यौहार महाराष्ट्र(Maharashtra) , मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक (Uttar Pradesh and Karnataka) में मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में तो 10 दिन चलने वाले इस त्यौहार की रौनक देखने देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं। गली-चौराहों पर गणेश पंडाल सजे होते हैं तो वहीं दूसरी ओर श्रद्धालु भगवान गणेश की प्रतिमा को भी अपने घरों में स्थापित करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश को विदाई दी जाती है। कुछ लोग गणेशोत्सव को 2 दिन के लिए मनाते हैं तो कुछ लोग पूरे दस दिनों तक इस उत्सव का आनंद उठाते हैं।

गणेश चतुर्थी का ये है इतिहास
शिवपुराण (shivpuran) के अनुसार, माता पार्वती ने अपने मैल से एक पुतला बनाकर उसे जीवित किया था। जिसके बाद उन्होंने उससे कहा कि वे स्नान करने जा रही हैं, इस दौरान महल में किसी को भी भीतर प्रवेश न करने दें। संयोगवश उसी वक्त भगवान शिव का आना हुआ। उन्हें अंदर जाता देख गणेश जी (Lord Ganesha) ने बाहर ही रोक दिया। शिवजी ने बालक गणेश को बहुत समझाया लेकिन वे नहीं माने।

 

आपको बता दें कि इस पर क्रोध में आकर भगवान शिव (Lord Shiva) ने बाल गणेश का सिर त्रिशूल से काट दिया। स्नान से लौटने के बाद जब देवी पार्वती को इस बात का पता चला तो वह बेहद नाराज हो गईं। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए भोलेनाथ ने गणेश जी के धड़ पर हाथी का मस्तक लगा दिया।

गणेश चतुर्थी का महत्व
ऐसी मान्यता है कि लंबोदर का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए यह दिन हर साल गणेश जी के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है। गणेश जी का एक नाम विघ्नहर्ता भी है। कहते हैं कि जो सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करता है वे उनके सारे विघ्न हर लेते हैं। भगवान गणेश के पूजन से जीवन में सुख, शांति एवं समृद्दि आती है।


विघ्नहर्ता को भाते हैं लड्डू, मोदक
गणेश चतुर्थी के दिन जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। घर के मंदिर की सफाई करना चाहिए। फिर विघ्नहर्ता को ‘लड्डू’, ‘मोदक’ और ‘दूर्वा घास’ अर्पित करना चाहिए। भगवान गणेश की पूजा उनकी ‘आरती’ के साथ पूरी होती है।

नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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