
नई दिल्ली। देश के सभी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों (Coal Based Power Plants) को कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत उन सभी संयंत्रों को अगले एक हफ्ते तक कोयले की आपूर्ति (Coal Supply) नहीं की जाएगी, जिनके पास अगले दो सप्ताह के लिए पर्याप्त कोयले का भंडार मौजूद है. इससे इकट्ठा होने वाला जैविक ईंधन उन बिजली संयंत्रों को भेजा जाएगा, जिनके पास कम कोयला भंडार (Coal Stock) है. विद्युत मंत्रालय ने कहा कि कोयला आपूर्ति नियमन से देश के 26 स्टेशनों से करीब 1.77 लाख टन कोयला बचकर इकट्ठा हो जाएगा.
बिना रुकावट बिजली आपूर्ति करने में मिलेगी मदद
विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) में सचिव आलोक कुमार ने ताप विद्युत संयंत्रों (TPP) में कोयला भंडार की स्थिति की दैनिक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए रविवार को कोर मैनेजमेंट टीम (CMT) की रिपोर्ट की समीक्षा की. बता दें कि सीएमटी में विद्युत मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA), कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) और रेलवे के प्रतिनिधि शामिल हैं. बैठक के दौरान कुछ तथ्य सामने आए, जिनसे टीपीपी में कोयले के भंडार की स्थिति को सुधारने और बिजली की बिना रुकावट आपूर्ति (Electricity Supply) सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
सभी बिजली संयंत्रों के पास हो जाएगा पर्याप्त कोयला
देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 383.37 गीगावॉट है. इसमें 53 फीसदी यानी 202.67 गीगावॉट बिजली उत्पादन कोयला आधारित संयंत्रों से होता है. ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि 15 दिन से ज्यादा के भंडार वाले विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के नियमन से बचने वाला करीब 1.77 लाख टन कोयला उन विद्युत संयंत्रों को उपलब्ध कराया जाएगा, जहां कोयले के भंडार की स्थिति अतिगंभीर और गंभीर है. इससे देशभर के बिजली संयंत्रों को अपनी जरूरत के मुताबिक कोयला भंडार तैयार करने में मदद मिलेगी. बता दें कि देश का पावर सेक्टर कोयला का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. वहीं, कोल इंडिया लिमिटेड देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनी है।
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