img-fluid

Drug Cage: डार्क नेट के जरिए किया जा रहा था ड्रग्स सप्लाई, बिटकॉइन में होता था लेनदेन, जानें कैसे होता है ये काम

October 05, 2021

मुंबई। एनसीबी (NCB) ने क्रूज रेव पार्टी (cruise rave party) में ड्रग्स मुहैया (drugs supply) कराने के आरोप में एक पैडलर (paddler) को हिरासत में लिया है. एजेंसी के मुताबिक इस पैडलर (paddler) ने 25 लोगों को ड्रग्स (Drugs) बेचे थे. इसके पास से कई तरह के ड्रग्स(Drugs) बरामद हुए हैं. ये पैडलर अभी तक एनसीबी (NCB)की पकड़ में इसलिए नहीं आ पाया था क्योंकि ये अपना व्यापार डार्क नेट(dark net) पर करता था और बिटकॉइन (bitcoin) के जरिए पैसे लेता था. डार्क नेट के बारे में लोगों ने काफी सुना होगा, लेकिन जानिए क्या होता है.
दरसअल, हम और आप जितना इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, वह कुल इंटरनेट का सिर्फ छह फीसदी हिस्सा होता है. इंटरनेट पर 94 फीसदी हिस्सा डार्क और डीप वेब (dark and deep web) का होता है. इंटरनेट कुल तीन लेयरों में बंटा होता है. इसकी पहली लेयर है सरफेस वेब. यह वर्ल्ड वाइड वेब का वही छह प्रतिशत वाला हिस्सा है, जो हम और आप इस्तेमाल करते हैं. इस लेयर वाले इंटरनेट पर आप किसी भी ब्राउजर या सर्च इंजन से कुछ भी खोज सकते हैं.



इंटरनेट की दूसरी लेयर (second layer of internet) को डीप वेब (deep web) कहा जाता है. इसका एक्सेस आसान नहीं होता है क्योंकि यह HTML यानी Hyper-text Markup Language में होता है. आपकी बैंकिंग वेबसाइट्स का डेटा, ई-मेल का डेटा यह सब HTML कम्यूटर कोडिंग में होता है. इसकी जानकारी सर्च इंजन के जरिए नहीं खोजी जा सकती है. इंटरनेट की इस दूसरी लेयर Deep Web का नाम मिशेल के बर्गमैन ने दिया था.
इसके बाद इंटरनेट की तीसरी और अंतिम लेयर (The third and final layer of the Internet) आती है जिसे डार्क वेब (dark web) कहते हैं. इसकी जानकारी को भी सर्च इंजन से नहीं खोजा जा सकता है. यहां के लिए स्पेशल एक्सेस की जरूरत होती है. इसके एक्सेस के लिए ‘TOR’ (टौर) जैसे सॉफ्टवेयर की मदद लेनी पड़ती है. इसी सॉफ्टवेयर में 30 हजार से ज्यादा हिडेन वेबसाइट्स हैं, जहां सब कुछ मिलता है. आम यूजर को डार्क वेब का इस्तेमाल करने से मना किया जाता है.

कब शुरू हुआ था डार्क वेब?
लगभग 10 साल पहले इस डार्क वेब शुरू हुआ था. लेकिन साइबर अपराधी डार्क नेट का इस्तेमाल अपराधों के लिए करने लगे, अब तो इसे इंटरनेट का अंडरवर्ल्ड भी कहा जाने लगा है. क्योंकि यहां अपराध से जुड़ी हर चीज उपलब्ध है. इसका इस्तेमाल गैरकानूनी काम, हथियारों की सौदेबाज़ी, ब्लैक मार्केट और ड्रग्स के व्यापार के लिए किया जाता है. इसका एक्सेस आसान नहीं होता, इसलिए पुलिस के लिए ऐसे अपराधी या गैरकानूनी सौदों को ट्रैक करना मुश्किल होता है. इसीलिए साइबर अपराधी डार्क वेब का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं.
इसका दूसरा पहलू यह भी है कि नामी और हाई प्रोफाइल कस्टमर अपनी पहचान छुपाने के लिए इस तरह का पेमेंट मोड का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि बॉलीवुड में ड्रग्स सप्लाई पुराने और भरोसेमंद पैडलर्स के जरिए करवाई जाती है क्योंकि दावा है कि बॉलीवुड बाज़ार से कई गुना कीमत पर ड्रग्स खरीदता है.

Share:

  • मार्क जकरबर्ग ने कुछ घंटों में गंवाए 600 करोड़ डॉलर, अमीरों की सूची में एक पायदान नीचे फिसले

    Tue Oct 5 , 2021
    नई दिल्ली। कुछ घंटों के लिए ठप्प हुए फेसबुक, इंस्टाग्राम (Instagram) और व्हाट्सऐप (WhatsApp) और एक विह्सलब्लोअर (Whistleblower) के खुलासों ने कंपनी के सीईओ मार्क जकरबर्ग (Mark Zuckerberg) को 600 करोड़ डॉलर (भारतीय मुद्रा अनुसार करीब 4,47,34,83,00,000 रुपये) का नुकसान पहुंचाया है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि कुछ ही घंटों की इस परेशानी के दौरान अमीरों […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved