
नई दिल्ली। भारत (India) सहित दुनिया के कई अन्य देशों में कोरोना (corona) का ओमिक्रॉन वैरिएंट (omicron) अपना कहर बरसते दिख रहा है। भारत में ओमिक्रॉन के अब तक कुल 77 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा 10 केस राजधानी दिल्ली में मिले हैं। विदेशों में कोरोना के इस वैरिएंट ने हालात और भी बिगाड़ दिए हैं, ब्रिटेन में कोरोना ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, यहां एक ही दिन में 78 हजार से अधिक संक्रमितों की पुष्टि की गई है। स्वास्थ्य संगठनों के मुताबिक कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में विस्तार से जानने के लिए अभी भी शोध चल रहा है। अब तक के अध्ययनों के आधार पर कहा जा सकता है कि जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करा लिया है उन्हें कोरोना का यह वेरिएंट इतने गंभीर रूप से असर नहीं करेगा।
ओमिक्रॉन वैरिएंट से सुरक्षा के लिए मौजूदा वैक्सीन कितने असरदार हो सकते हैं, इस बारे में जानने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ मौजूदा वैक्सीन को ज्यादा असरदार नहीं माना जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को कहा कि प्रारंभिक साक्ष्य इंगित करते हैं कि कोविड-19 की मौजूदा वैक्सीन, ओमिक्रॉन वायरस से जुड़े संक्रमण और संचरण के खिलाफ कम प्रभावी हो सकती हैं, इस वजह से वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में भी पुन: संक्रमण का खतरा बना हुआ है। डब्ल्यूएचओ (WHO) ने अपने साप्ताहिक महामारी अपडेट में कहा कि वैक्सीन या पिछले संक्रमण से प्राप्त प्रतिरक्षा, ओमिक्रॉन पर कितनी प्रभावी हो सकती है, इस बारे में बेहतर ढंग से समझने के लिए अधिक डेटा की जरुरत है, जिसके लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं।
इससे पहले डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने मंगलवार को एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में बताया था कि, ओमिक्रॉन को वैरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया गया है। फिलहाल जो साक्ष्य मिले हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि इस नए वैरिएंट से संबंधित जोखिम अब भी बना हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि ओमिक्रॉन के साथ-साथ कई देशों में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने भी विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा रखी है, हालांकि पिछले कुछ हफ्तों में डेल्टा संक्रमण के मामलों में गिरावट जरूर देखी गई है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनियाभर में डेल्टा वैरिएंट अभी भी प्रमुख चिंता का कारण बना हुआ है, हालांकि अल्फा, बीटा और गामा और ओमिक्रॉन की तुलना में इसके मामले पिछले 60 दिनों में कम होते दिख रहे हैं। कोरोना के पहले के वैरिएंट्स की तुलना में ओमिक्रॉन को अधिक संक्रामक माना जा रहा है, हालांकि तुलनात्मक नजरिए से इसकी बीमारी की गंभीरता कम है। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से निपटने के लिए लोगों को लगातार सावधानी बरतने की आवश्यकता है, जिससे कि समय रहते इसके प्रसार पर काबू पाया जा सके।
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