
नई दिल्ली। यूएई (UAE) में हूती विद्रोहियों के हाल के हमले (Houthi rebels attack) के बाद छद्म युद्ध (proxy war) तेज हो गया है. हूतियों ने साल की शुरुआत में ही रेड सी में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) के एक जहाज पर कब्जा (capture the ship) कर लिया जिस पर कई भारतीय सवार(many indian riders) थे. सऊदी अरब के कई शहरों पर भी ड्रोन हमले (Drone attacks on many cities of Saudi Arabia) किए गए. 17 जनवरी को UAE की राजधानी अबू धाबी पर ड्रोन हमला किया गया जिसमें दो भारतीयों की मौत हो गई. ऐसी स्थिति में UAE में रह रहे भारतीयों के लिए वहां काम करना सुरक्षित नहीं रह गया है.
UAE ने वर्षों के प्रयास के बाद खुद को एक सुरक्षित बिजनेस डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित किया है. UAE अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य के प्रमुख केंद्रों में से एक बन गया है और यहां लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर काम करते हैं. निवेशक अरबों डॉलर का निवेश UAE में कर रहे हैं. UAE का दुबई हवाई अड्डा दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है.
यूएई की कुल आबादी का 40% हिस्सा भारतीय
संयुक्त अरब अमीरात की 80% आबादी विदेशी है. ये आबादी इसी देश में रहकर काम करती है. अबू धाबी में भारतीय दूतावास के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 35 लाख है, जो अमीरात की कुल आबादी का लगभग 40% है.
इसमें वो लाखों लोग शामिल नहीं हैं जो हर साल दुबई में घुमने के लिए जाते हैं. दुबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की तरफ से बताया गया कि कोविड-19 यात्रा प्रतिबंधों के बावजूद 2021 की पहली छमाही में 20 लाख भारतीय यात्री दुबई पहुंचे थे. लेकिन हाल के हमलों को देखते हुए भारतीयों के लिए UAE अब सुरक्षित जगह नहीं लगता.
क्यों लड़ रहे हैं हूती और अरब के देश
1980 के दशक में यमन में शिया इस्लाम को मानने वाले हूतियों ने अपना संगठन बनाया. ये विद्रोही उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के प्रचार के विरोधी थे. जब यमन में सुन्नी इस्लाम को मानने वाले नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी तब ऐसी खबरें आईं कि सरकार शियाओं के खिलाफ अत्याचार कर रही है.
हूतियों ने इसका विरोध करने के लिए अपनी एक सेना बनाई और 2004-2010 के बीच सालेह की सेना से 6 बार युद्ध किया. साल 2014 में हूती विद्रोहियों ने अबेद रब्बी मंसूर हादी को सत्ता से हटा दिया और राजधानी सना पर अपना कब्जा कर लिया.
इधर, संयुक्त अरब अमीरात की सरकार यमन की सरकार की समर्थक थी. उसने सऊदी अरब के साथ मिलकर यमन में अपने सैनिक तैनात कर दिए. दोनों ने अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से एक गठबंधन बनाया जो हूतियों के खिलाफ हमले करता है.
UAE ने यमन से 2019 में अपने सैनिक वापस बुला लिए लेकिन वहां की सरकार को अपना समर्थन देना जारी रखा है. हूती विद्रोही चाहते हैं कि UAE यमन की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार के समर्थक हथियारबंद गुटों को अपना समर्थन न दे.
यूएई पर बढ़ते हूती विद्रोहियों के हमले
जनवरी 2022 में ही संयुक्त अरब अमीरात को निशाना बनाकर हूतियों ने दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. हालांकि किसी नुकसान से पहले ही इन मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया गया. UAE ने भले ही एक और नुकसान रोक लिया हो लेकिन हूती UAE की छवि को खराब करने में कुछ हद तक सफल जरूर हुए हैं.
UAE की अच्छी व्यापारिक छवि के लिए वहां स्थिरता जरूरी है लेकिन हूतियों के हमले उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. UAE नहीं चाहता कि उसकी छवि एक ऐसे देश के रूप में बने जहां लगातार हमले होते हैं. इससे पर्यटन और विदेशी निवेश को भारी घाटा होने की संभावना है. UAE ने अपने दुबई एक्स्पो 2020 के लिए भी काफी खर्चा किया है. ये एक्सपो फिलहाल जारी है और इसके जरिए UAE कोविड महामारी से हुए नुकसान की भरपाई की कोशिश कर रहा है. लेकिन हूतियों के हालिया हमलों से UAE की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचेगा. राजधानी दुबई में भारतीयों का प्रभुत्व है और बढ़ते हमलों को देखते इनकी सुरक्षा UAE सरकार की बड़ी जिम्मेदारी है.
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