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विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने संसद को बताया-अवैध कब्जा कर पैंगोंग झील पर चीन ने बनाया पुल

February 05, 2022

नई दिल्‍ली। भारत सरकार (government of India) ने शुक्रवार को संसद को सूचित किया कि पूर्वी लद्दाख (Laddakh) में पैंगोंग झील (Pangong Lake) पर चीन (china) द्वारा पुल को अवैध रूप से कब्‍जा (illegally occupied the bridge) किए गए क्षेत्र में बनाया जा रहा है. सरकार ने कहा कि वह अन्‍य देशों से भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता (Sovereignty and Territorial Integrity of India) का सम्‍मान करने की अपेक्षा करती है. लद्दाख सेक्टर में रणनीतिक झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे को जोड़ने वाले इस पुल पर सरकार की स्थिति को विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन (Minister of State for External Affairs V Muraleedharan) ने लोकसभा में कई सांसदों के सवालों के लिखित जवाब में बताया.

इस संबंध में अमेरिकी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी मैक्सार (American space technology company Maxar) से पुल की उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह इमेजरी पिछले महीने सामने आई थी. इसमें दिखाया गया था कि यह स्‍ट्रक्‍चर आठ मीटर चौड़ी और 400 मीटर से अधिक लंबी है. इस इमेजरी से यह भी पता चलता है कि चीन के मजदूर टरमैक बिछाने से पहले खंभों के बीच कंक्रीट के स्‍लैब लगाने के लिए भारी क्रेन का उपयोग कर रहे हैं. विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि यह पुल उन क्षेत्रों में बनाया जा रहा है जो 1962 से चीन के अवैध कब्जे में हैं. उन्‍होंने कहा कि भारत सरकार ने इस अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है.



सरकार ने कई मौकों पर यह स्पष्ट किया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और हम उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे. यह पुल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पोजिशन के दक्षिण में बना हुआ है. यह पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर है और यह उस स्थान पर बनाया जा रहा है जहां झील के दोनों किनारे लगभग 500 मीटर से अलग हैं. एक बार पूरा होने के बाद, यह पुल उत्तरी तट पर चीनी सैनिकों की स्थिति के बीच की दूरी को रुतोग में एक प्रमुख पीएलए बेस तक लगभग 150 किमी तक कम कर देगा.

इससे पहले 6 जनवरी को, विदेश मंत्रालय ने भी चीनी पक्ष पर उस क्षेत्र में पुल बनाने का आरोप लगाया, जिस पर उसने 60 वर्षों से अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने उस समय कहा था कि सरकार ‘हमारे सुरक्षा हितों की पूरी तरह से रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है.’

मुरलीधरन ने लोकसभा में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि चीन पिछले छह दशकों से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते के तहत 1963 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें पाकिस्तान ने अवैध रूप से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों से शक्सगाम घाटी में 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र को चीन को सौंप दिया था.’

भारत सरकार ने चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को ‘कभी मान्यता नहीं दी’ और ‘लगातार बनाए रखा है कि यह अवैध और अमान्य है.’ उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के पूरे केंद्र शासित प्रदेश भारत का एक अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा हैं. इसे कई बार पाकिस्तानी और चीनी अधिकारियों को स्पष्ट रूप से अवगत कराया गया है.

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