काबुल। तालिबान (Taliban) हजारों बेघर नशा करने वालों को अस्पतालों में बंद कर दिया गया है, जो किसी कॉन्सेंट्रेशन कैंप (concentration camp) से कम नहीं हैं. यहां पर उनके साथ ज्यादतियां भी जारी हैं. काबुल (Kabul) के एक ऐसे ही ‘अस्पताल’ का नजारा देखा गया, जो बेहद ही भयावह था. यहां पर कमरों के भीतर नशा करने वाले लोगों को ठूस कर रखे हुए देखा गया. इन लोगों को न के बराबर खाना दिया जा रहा है. भूख के चलते कई लोग घास खाने को मजबूर (Many people were forced to eat grass due to hunger.) हो गए हैं.
अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से हालात हर दिन खराब होते जा रहे हैं. अस्पतालों से लेकर स्कूलों तक बदहाली है. ड्रग की समस्या (Afghanistan Drug Problem) को खत्म करने के लिए तालिबान ने रिहैब सेंटर्स (Taliban rehab centers) बनाए थे. यहां हजारों लोग भर्ती हैं, मगर यहां कि व्यवस्था इतनी खराब है कि कैदी आदमखोर बनते जा रहे हैं. इस बात की भी जानकारी है कि कुछ ने बिल्लियों और यहां तक कि इंसानी मांस को खाकर जिंदा रहने शुरू कर दिया है. पिछले महीने डेनमार्क एक पत्रकार से बात करते हुए ऐसे ही एक ‘अस्पताल’ से रिकवर होकर आए व्यक्ति ने कहा, ‘उन लोगों ने एक व्यक्ति को जान से मार दिया और उसकी लाश को जलाया. कुछ लोगों ने उसकी आंतों को खाया. अब्दुल नाम के एक अन्य कैदी ने बताया कि ‘मरीजों’ के लिए भूखे रहना एक आम बात बन चुकी है. इस वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है. उस व्यक्ति ने बताया कि एक दिन पार्क में घूम रही बिल्ली को लोगों ने पकड़कर खाया. एक व्यक्ति ने बिल्ली की गर्दन को काटा और खा गया. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान लंबे समय से अवैध अफीम और हेरोइन का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है. 2017 में अफगानिस्तान ने दुनिया में अकेले ड्रग्स की 80 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति की. इस साल 1.4 अरब डॉलर का ड्रग्स का व्यापार किया गया. यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के काबुल कार्यालय के प्रमुख सीजर गुड्स ने रॉयटर्स को बताया, तालिबान ने अपनी आय के मुख्य स्रोतों में से एक के रूप में अफगान अफीम व्यापार पर भरोसा किया है. अधिक उत्पादन की वजह से ड्रग्स सस्ता हो गया है और ये अधिक लोगों तक पहुंच सकता है