नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन में चल रही भीषण युद्ध (Russia-Ukraine Conflict) से दुनियाभर बाजारों में हलचल देखी जा रही है। भारत की अर्थव्यवस्था (India Economy) भी इससे प्रभावित होने लगी है, क्योंकि रूस और यूक्रेन संकट के कारण भारत में खाद्य तेल के भाव में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है।
इसी बीच रूस- यूक्रेन विवाद (Russia-Ukraine War) के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का रेट-सेटिंग पैनल भू-राजनीतिक रिस्क के बावजूद दरियादिली दिखाते हुए ब्याज दरों को स्थिर बनाए रख सकता है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार, आरबीआई इस साल के अंत तक मौद्रिक नीति में सुधार कर सकता है।
वहीं भारत में मौद्रिक नीति पैनल ने फरवरी की बैठक में नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया जबकि इस बीच वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने कोरोना महामारी के बाद मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं हैं, लेकिन आरबीआई की नीति बाकी देशों के केंद्रीय बैंकों से काफी अलग है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की बैठक में कहा था कि चूंकि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के शांत होने की उम्मीद है, इसलिए मौद्रिक नीति में समायोजन की गुंजाइश रहेगी।
बार्कलेज के अनुसार, ‘आरबीआई अगले छह महीनों में पॉलिसी कॉरिडोर को सामान्य करने का विकल्प चुन सकता है. उम्मीद है कि रेपो दर में बढ़ोतरी केवल Q3 2022-अगस्त की बैठक से शुरू होगी या इसमें और भी देरी हो सकती है!’ एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के अर्थशास्त्रियों के अनुसार, पॉलिसी निर्माता ब्याज दर के जरिये तुरंत रिऐक्शन नहीं दे सकते हैं। एमपीसी की बैठक में आरबीआई ने ठोस नीति के संकेत दिए. आरबीआई उदारता दिखाते हुए रेपो दर में बढ़ोतरी में देरी कर सकता है।
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