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एक बेटी दिल्ली पहुंची, दूसरी रोमानिया में, तीसरा बेटा कीव में फंसा है

उज्जैन। बाबा महाकाल (Baba Mahakal) ने उज्जैन (Ujjain) वासियों की पुकार सुन ली। यूक्रेेन के टेर्नोपिल (Ternopil of Ukraine) में फंसी एक बेटी आशी जहां सोमवार को दिल्ली आ गई वहीं मेघा रोमानिया (Megha Romania) पहुंच गई। एक बेटा पार्थ अभी भी यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसा है, जहां से वह निकल नहीं पाया है।

उज्जैन आई आशी शर्मा ने बताया कि टेर्नोपिल से रोमानिया बार्डर तक का सफर अत्यंत डरावना रहा। आशंका रही कि कोई मिसाइल हमला न हो जाए। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को बस पर लगा रखा था। ऐसी एडवायजरी भी थी। रेामानिया बार्डर पर जरूर बहुत परेशान होना पड़ा। रोमानिया में प्रवेश के बाद स्थितियां आसान होती चली गई। भारत सरकार उन्हें लेकर दिल्ली आ गई।



उज्जैन की मेघा त्रिवेदी बीती रात यूक्रेन से रोमानिया बॉर्डर क्रॉस करके रोमानिया पहुंची। रोमानिया से ऑन लाइन वीडियो कॉल पर मेघा ने बताया कि रविवार रात करीब 12 बजे उनका रजिस्ट्रेशन हुआ और वे रोमानिया में पहुंच गई। उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी रोमानिया में प्रवेश कर गई। मेघा ने बताया कि उनकी पानीपत निवासी वंदना जुनेजा नामक फ्रेंड यूक्रेन की बॉर्डर में रह गई। कारण बताया कि भगदड़ में वह बेहोश हो गई। यूक्रेन पुलिस उसे एम्बुलेंस में हॉस्पिटल ले गए। इस कारण वह रोमानिया नहीं जा पाए। मेघा ने बताया कि रोमानिया में प्रवेश करने के बाद उन्हें बस से होटल ले जाया गया। खाना खिलाया गया। अच्छे रूम में ठहराया गया। अब अगली फ्लाइट से इंडिया आ रहे हैं।

उज्जैन निवासी पार्थ ने वीडियो कॉल पर बताया कि वह कीव में ही फंस गया है। एमबीबीएस फायनल एक्जाम दो माह बाद होना है, इसीलिए वह रूका रहा। अब हालात बहुत बेकार हो गए हैं। वह बंकर में छिपकर जान बचाता है। होस्टल से रोमानिया बार्डर करीब एक हजार किमी दूर है। ऐसे में वह दी गई एडवाइजरी अनुसार बाहर नहीं निकल पा रहा है। होस्टल में खाने,पीने की समस्या नहीं है।

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