– एक सप्ताह में खोया, रिफाइंड, मैदा शक्कर के दामों में आया उछाल
नई दिल्ली। होली पर भी महज दस दिन का फांसला बचा है। रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान (skyrocketing prices of everyday things) छूने से गरीबों की होली फीकी (poor holi faded) रहने की संभावना है। खोया, रिफाइंड, मेवा के दामों में भारी उछाल आने पर यह गरीबों की पहुंच से बाहर हो गया है। रिफाइंड में एक सप्ताह के अंदर 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी (12 per liter increase) हुई है। शक्कर मैदा के दामों में भी उछाल आया है।
होली पर्व के नजदीक आते ही रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छूने लगे हैं। 240 रुपये प्रति किलो बिकने वाला खोया पिछले एक सप्ताह में के अंदर 60 रुपये प्रति किलो उछाल के साथ 300 में पहुंच गया। इसके दामों में इस सप्ताह और उछाल आने की पूरी संभावना है। कस्बे के एक दुकानदार ने बताया कि मेवा के दामों में 10 से 20 रुपये तक प्रति किलो का इजाफा हो चुका है।
रिफाइंड एक सप्ताह में 12 रुपये प्रति लीटर बढ़ा है। इसके दामों में और उछाल आने की संभावना है। दुकानदार ने बताया कि शक्कर व मैदा के दामों में 100 रुपये प्रति कुंटल का उछाल आया है। शक्कर व मैदा के दाम और भी बढ़ सकते हैं। रोजमर्रा के सामानों के दाम दिन प्रतिदिन बढ़ने से आम आदमी परेशान हो उठा है। महंगाई की मार से कराह रहे रवि शंकर, गया प्रसाद, देवीदीन, मलखान, रामेश्वर, धनीराम, रामप्रकाश, गरीबा, मूलचंद, प्रेमदास, भवानीदीन, कालीचरण, घनश्याम आदि ने कहा कि महंगाई अब बर्दाश्त से बाहर होती जा रही है।
रात दिन दामों में इजाफा होने से गरीबों की शामत आ गई है। गांव कस्बों में रोजगार का अभाव होने तथा नियमित रूप से कार्य न मिलने के कारण गरीबों का गृहस्थी चलाना दूभर हो गया है। इस तरह की महंगाई में होली के रंगों को बैन कर दिया है। क्योंकि इतने महंगे सामान खरीदना आम आदमी के बस से बाहर हों गया है। त्यौहार के नाम पर यह रस्म अदायगी तक सिमट कर रह गया है। लोगों का कहना है कि महंगाई बर्दाश्त से बाहर है। इसमें अंकुश लगना चाहिए। तभी आम आदमी का भला होगा। (एजेंसी, हि.स.)
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