नई दिल्ली। हाल ही में हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनावो (Assembly elections) में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस (Congress) के नेता ही कांग्रेस के कुनबे में प्रश्न चिन्ह लगाने लगे हैं। तो वहीं कांग्रेस का समर्थन कर रही शिवसेना (Shivsena) पूरी तरह से गांधी परिवार के बचाव में उतर आई है।
बता दें कि शिवसेना (Shivsena) के मुखपत्र सामना (Saamna) यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस (Congress) की हार पर जी – 23 नेताओ पर हमला बोलते हुए उन्हें सड़ा हुआ आम बताया है। साथ ही गांधी परिवार को भी एकमात्र बल स्थान नही होने का दावा किया है।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में कलह पैदा हो गई है। इस बीच आज पार्टी के ‘जी 23’ समूह के नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के आवास पर बैठक करेंगे! बैठक से पहले गांधी परिवार को शिवसेना का साथ मिला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में गांधी परिवार का समर्थन करते हुए जी-23 नेताओं की तुलना सड़े हुए आम से की है।
बता दें कि सामना में शिवसेना ने लिखा, ”जी-23 का समूह सड़ा हुआ आम है, लेकिन कांग्रेस संगठन को आज गांधी ही चाहिए। उत्तराखंड में बीजेपी के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पराजित हो गए, लेकिन उत्तराखंड में कांग्रेस ने फिर से हरीश रावत जैसे पुराने नेता को बागडोर सौंपकर बीजेपी को आगे के लिए गति दे दी। वे (रावत) खुद चुनाव हार गए! ” संपादकीय में लिखा, ”गांधी नेतृत्व छोड़ें यह ठीक, लेकिन कांग्रेस को आगे ले जानेवाला, जीत दिलानेवाला नेता उनके ‘जी-23’ गुट में है क्या?”
वहीं शिवसेना ने अपने मुख्य पत्र में सामना में यह भी लिखा कि ‘कांग्रेस की थाली और कटोरी में खा-पीकर कई बार डकार लेकर स्वस्थ हुए नेता ‘जी-23’ में हैं और कांग्रेस की पराजय पर वे विलाप कर रहे हैं। इनमें से कितने नेता पांच राज्यों के चुनाव में जमीन पर उतरे थे? कितनों ने प्रत्यक्ष रूप से प्रचार में खुद को झोंक दिया था? केवल गांधी परिवार ही एकमात्र बल स्थान नहीं रह गया है। कांग्रेस की जड़ें सूख गई हैं और वृक्ष पत्ता विहीन हो गया है पत्ते अंकुरित हों, बहार आएं और वातावरण ताजा हो, ऐसा किसी को मन से लगता है तो वृक्षों की पूरी छंटाई कर नया बगीचा फुलाना होगा। कांग्रेस पार्टी के आंतरिक मामलों में सिर घुसाने की जरूरत नहीं है लेकिन सभी विपक्षी पार्टियों के अस्तित्व और एकजुटता का विषय होने पर हमने अपने विचार व्यक्त किए।
Share: