img-fluid

महंगाई की तगड़ी मार: 8 साल का तोड़ा रिकार्ड, अप्रैल में बढ़कर 7.79 फीसदी पर पहुंची

May 24, 2022

नई दिल्‍ली। महंगाई (inflation) एक ऐसी ‘डायन’ है, जो इंसान की खुशियां खा जाती है. भारत जैसे देश में महंगाई का बढ़ना इसलिए भी चिंता बढ़ाता है, क्योंकि अब भी यहां एक आम आदमी (Common man) की महीने की कमाई साढ़े 12 हजार रुपये के आसपास है. सरकार खुद मानती है कि देश में 80 करोड़ से ज्यादा लोग गरीब हैं, तभी उन्हें मुफ्त में अनाज दिया जाता है.

कोरोना (corona) ने पहले से ही कमर तोड़ रखी थी और उसके बाद अब महंगाई ने हालात को और बदतर कर दिया है. हाल ही में सरकार ने महंगाई दर (inflation rate) को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, वो बताते हैं कि देश में महंगाई दर 8 फीसदी के करीब पहुंच गई है.



सरकार के मुताबिक, अप्रैल में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित खुदरा महंगाई दर 7.79% रही. महंगाई की ये दर 8 साल के उच्च स्तर पर है. इससे पहले मई 2014 में महंगाई दर 8.33% रही थी.

महंगाई दर मतलब है किसी सामान या सेवा की समय के साथ कीमत बढ़ना. इसे हम किसी महीने या साल के हिसाब से मापते हैं. मसलन, कोई चीज सालभर पहले 100 रुपये की मिल रही थी, लेकिन अब 105 रुपये में मिल रही है. इस हिसाब से इसकी सालाना महंगाई(annual inflation) दर 5 फीसदी रही.

महंगाई दर बढ़ने का एक सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि इससे समय के साथ मुद्रा का महत्व कम हो जाता है. यानी, आज आपके पास 105 रुपये एक साल पहले के 100 रुपये के बराबर थे.

ऐसे समझें, कैसे कटी आपकी जेब?
– महंगाई दर का आकलन अभी 2012 के बेस प्राइस से किया जाता है. इससे अनुमान लगाया जाता है कि 2012 के 100 रुपये में आप जो चीज खरीद सकते थे, आज वही चीज खरीदने के लिए आपको कितना खर्च करना होगा.

– 2012 में अगर आप 100 रुपये में कोई सामान खरीदते थे, तो आज उसी चीज को खरीदने के लिए आपको 170.1 रुपये खर्च करने होंगे. एक साल पहले तक आपको 157.8 रुपये खर्च करने पड़ते थे. यानी, एक साल में उसी सामान को खरीदने के लिए आपको 12.3 रुपये ज्यादा चुकाने पड़ रहे हैं.

– चूंकि, एक साल में ही आपको उसी सामान को खरीदने के लिए 157.8 रुपये की बजाय 170.1 रुपये खर्च करने पड़े, इसलिए सालाना महंगाई दर 7.79% हो गई.

महंगाई मापने के दो इंडेक्स हैं
भारत में महंगाई मापने के दो इंडेक्स हैं. पहला है कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI. और दूसरा है होलसेल प्राइस इंडेक्स यानी WPI.

CPI के जरिए रिटेल महंगाई दर निकाली जाती है. वहीं, WPI से खुदरा महंगाई दर को मापा जाता है.

आप और हम जैसे आम लोग ग्राहक के तौर पर जो सामान खरीदते हैं, वो खुदरा बाजार से खरीदते हैं. सीपीआई के जरिए पता लगाया जाता है कि खुदरा बाजार में जो सामान है, वो कितना महंगा या सस्ता हो रहा है.

वहीं, कारोबारी या कंपनियां थोक बाजार से सामान खरीदती हैं. WPI से थोक बाजार में सामान की कीमतों में होने वाले बदलाव का पता चलता है.

दुनिया के कई देशों में WPI को ही महंगाई मापने के लिए मुख्य मानक माना जाता है, लेकिन भारत में CPI को मुख्य पैमाना माना जाता है.

Share:

  • नवजोत सिंह सिद्धू को मिल सकती है बड़ी राहत, स्पेशल डाइट को लेकर डॉक्टर्स ने दिया सुझाव

    Tue May 24 , 2022
    पटियाला। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Punjab Pradesh Congress Committee) के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला जेल में थोड़ी राहत मिलने की उम्‍मीद जागी है। बताया जा रहा है कि पटियाला के राजिंदर हॉस्पिटल के डॉक्टर्स (Doctors at Rajinder Hospital, Patiala) ने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के लिए कम फैट और हाई […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved