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रूस के राजदूत का बड़ा बयान, भारत को तय समय पर मिलेगा एस-400 मिसाइल सिस्टम

June 13, 2022

नई दिल्ली। रूस (Russian Ambassador) के राजदूत डेनिस अलीपोव (Denis Alipov) ने कहा है कि रूस ( Russia) द्वारा भारत (India) को एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (S-400 air defense missile system) की आपूर्ति तय कार्यक्रम के अनुसार ‘अच्छी तरह से हो रही है.’ राजदूत की यह टिप्पणी ऐसे वक्त आई है जब यूक्रेन (Ukraine) पर सैन्य आक्रमण के मद्देनजर रूस द्वारा भारत को प्रमुख सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति में संभावित देरी को लेकर चिंता जताई गई है। अलीपोव ने कहा, “एस-400 प्रणाली की आपूर्ति तय कार्यक्रम के अनुसार अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है.” राजदूत ने भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75वें वर्ष के अवसर पर ‘रशिया डाइजेस्ट’ पत्रिका में लिखी एक प्रस्तावना में यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, “आज का रूस-भारत बहुआयामी सहयोग दुनिया के सबसे विस्तृत सहयोगों में से एक है.” प्रस्तावना में अलीपोव ने यह भी कहा कि रूस और भारत उन प्रमुख पहल को सफलतापूर्वक लागू करना जारी रखे हुए हैं जो सहयोग को अद्वितीय बनाते हैं. रूस ने एस-400 मिसाइल प्रणाली की पहली रेजिमेंट की आपूर्ति पिछले साल दिसंबर में शुरू की थी, जबकि दूसरी रेजिमेंट की आपूर्ति अप्रैल में शुरू हुई थी।


चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा को कर सकती है कवर
मिसाइल प्रणाली को इस तरह से तैनात किया गया है कि यह उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ लगी सीमा के कुछ हिस्सों के साथ-साथ पाकिस्तान के साथ लगी सीमा को भी कवर कर सकती है. मार्च में रूस ने कहा था कि उसके खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का भारत को एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

भारत और रूस ‘सच्ची दोस्ती’ बनाए रखने में सफल रहे हैं
भारत-रूस संबंधों के 75 साल पूरे होने का जिक्र करते हुए अलीपोव ने कहा कि दोनों देश इन वर्षों में ‘सच्ची दोस्ती और आपसी विश्वास’ बनाए रखने में सफल रहे हैं. रूसी राजदूत ने कहा, “आज का रूस-भारत बहुआयामी सहयोग दो अंतर सरकारी आयोगों की नियमित बैठकों, क्षेत्रवार मंत्रिस्तरीय, सुरक्षा सलाहकारों और वरिष्ठ अधिकारियों के संवाद, विदेश कार्यालय परामर्श तथा वैश्विक क्षेत्र में समन्वय के साथ दुनिया के सबसे विस्तृत सहयोगों में से एक है।”

भारत और रूस का आपसी सहयोग ‘अद्वितीय’
अलीपोव ने कहा कि रूस और भारत प्रमुख पहलों को सफलतापूर्वक लागू करना जारी रखे हुए हैं, जो सहयोग को ‘अद्वितीय’ बनाते हैं. उन्होंने कहा कि इन पहलों में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना, एके-203 राइफल निर्माण कार्यक्रम, लड़ाकू विमान निर्माण में सहयोग, मुख्य युद्धक टैंक के निर्माण के साथ-साथ फ्रिगेट, पनडुब्बी, ब्रह्मोस और अन्य मिसाइल परियोजनाओं का निर्माण शामिल है।

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