नई दिल्ली: पड़ोसी देश श्रीलंका की हालत पिछले कुछ महीनों से बेहद खराब है. आर्थिक मोर्चे (Sri Lanka Economic Crisis) पर दिक्कतों से शुरू हुआ संकट अब राजनीतिक अस्थिरता (Sri Lanka Political Crisis) के हालात पैदा कर चुका है. जनता की बगावत के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) इस्तीफा देने वाले हैं, जबकि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. हजारों लोगों की भीड़ ने पिछले कई दिनों से राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा जमा रखा है, सड़कों पर सेना तैनात है और पीएम-राष्ट्रपति समेत तमाम बड़े नेता अंडरग्राउंड हो गए हैं. इस बीच श्रीलंका में खाने-पीने की जरूरी चीजों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं.
बद से बदतर होते जा रहे हैं हालात
श्रीलंका की राजधानी कोलंबो के Fose Market के ताजा आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका में अभी टमाटर के भाव 150 रुपये किलो श्रीलंकाई रुपये पर पहुंच गए हैं. इसी तरह मूली के भाव 490 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं. इतना ही नहीं बल्कि प्याज 200 रुपये किलो और आलू 220 रुपये किलो में बिक रहा है. आलू, प्याज और टमाटर जैसी आम इस्तेमाल की सब्जियों के दाम बढ़ने से श्रीलंका के लोगों की परेशानियां भी बढ़ गई हैं. सब्जियों के दाम में ऐसे समय आग लगी है, जब पहले से ही श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल की कमी हो चुकी है और लोगों को बेतहाशा पावर कट का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसे धीरे-धीरे बढ़ता गया श्रीलंका संकट
इस पूरे संकट की शुरुआत विदेशी कर्ज के बोझ के कारण हुई. कर्ज की किस्तें चुकाते-चुकाते श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार (Sri Lanka Forex Reserve Crisis) समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया. स्थिति ऐसी हो गई कि श्रीलंका में डीजल-पेट्रोल और खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई. बेहद जरूरी दवाएं तक पड़ोसी देश में समाप्त हो गईं. सरकार को पेट्रोल पंपों पर सेना तैनात करने की जरूरत पड़ गई. हालांकि इससे भी स्थिति में सुधार नहीं आया और हालात लगातार बिगड़ते चले गए. बताया जा रहा है कि आजादी के बाद श्रीलंका के सामने यह अब तक का सबसे बड़ा संकट है. कोरोना महामारी के कारण पर्यटन के प्रभावित होने और ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर सरकार के अदूरदर्शी फैसलों ने संकट को विकराल बनाने में योगदान दिया.
इतने बुरे हो चुके हैं श्रीलंका के हालात
- 22 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका 1948 में आजाद होने के बाद के सबसे बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है. खाने-पीने के सामान और दवा जैसी बुनियादी चीजों की भी कमी होने लगी है. लोग खाना पकाने के लिए केरोसिन तेल और एलपीजी सिलेंडर खरीदने के लिए लाइनों में लगे हुए हैं.
- महीनों से हजारों-लाखों लोग सड़कों पर हैं. आर्थिक संकट में देश को झोंकने के लिए लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. लोगों का गुस्सा जब सड़कों पर फूटा तो मई में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाया गया था, लेकिन अब वह भी पद छोड़ चुके हैं. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भी इस्तीफा देने जा रहे हैं.
- खबरों के अनुसार, श्रीलंका में हालात इतने बिगड़ गए हैं कि स्कूलों को बंद करना पड़ गया है. ईंधन भी सिर्फ जरूरी सेवाओं के लिए रिजर्व है. पेट्रोल-डीजल की कमी की वजह से मरीज अस्पताल भी नहीं जा पा रहे हैं. खाने-पीने की चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं.
- इतना ही नहीं, ट्रेनों की संख्या भी कम कर दी गई है. यात्री डिब्बे के ऊपर बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं. राजधानी कोलंबो समेत कई बड़े शहरों में सैकड़ों लोग ईंधन खरीदने के लिए घंटों तक लाइन में खड़े रहने को मजबूर हैं. कई बार डीजल-पेट्रोल लेने के लिए लोगों को घंटों नहीं बल्कि कई-कई दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. इस कारण लोगों की पुलिस और सेना से झड़प भी होती रहती है.