
नई दिल्ली: अमेरिका और चीन (America and China) एक बार फिर खुलेआम एक-दूसरे को चेतावनी दे रहे हैं. दरअसल चीन ने अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी (US Parliament Speaker Nancy Pelosi) की संभावित ताइवान यात्रा पर आपत्ति जताई है. पेलोसी की यात्रा चीन के लिए अस्तित्व का सवाल बनी हुई है. बात यहां तक बढ़ चुकी है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर (South China Sea) पर ताइवान स्ट्रेट में युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है. चीन ने इस इलाके में यात्री विमानों पर प्रतिबंध भी लगा दिया है. दूसरी तरफ अमेरिका ने ताइवान से सटे जापान और अपने नियंत्रण वाले गुआम द्वीप पर फाइटर जेट तैनात किया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका सभी स्तरों पर और सभी चैनलों के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में हैं. चीन ने बार-बार स्पष्ट रूप से अमेरिकी को नैंसी पेलोसी की संभावित ताइवान यात्रा के दृढ़ विरोध की अपनी स्थिति के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इस मुद्दे के महत्व, संवेदनशीलता और खतरे को स्पष्ट रूप से समझेंगे.
पेलोसी की यात्रा को लेकर चीनी प्रवक्ता ने कहा कि मैं आपको जो बता सकता हूं वह यह है कि अमेरिकी पक्ष निश्चित रूप से जिम्मेदारी लेगा और चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाने की कीमत चुकाएगा. बता दें कि पेलोसी के ताइवान जाने को लेकर चीन बार-बार चेतावनी दे चुका है. चीन लंबे समय से ताइवान पर अपना दावा करते आ रहा है. जबकि अमेरिका ने सोमवार को कहा कि वह चीनी धमकियों से भयभीत नहीं होगा.
बता दें कि नैंसी पेलोसी सोमवार (1 अगस्त) से चार एशियाई देशों के दौरे पर हैं. उन्होंने सिंगापुर से एशियाई देशों के दौरे की शुरुआत की. इस बीच अटकलें यह लगाई जा रही हैं कि पेलोसी ताइवान का भी दौरा करेंगी. अभी तक अमेरिका ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर कोई खुलासा नहीं किया है.
नैंसी पेलोसी की संभावित ताइवान यात्रा पर चीन इसलिए तिलमिलाया हुआ है क्योंकि पेलोसी अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद तीसरे नंबर की उच्च अधिकारी हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि नैंसी अगर ताइवान की यात्रा करती हैं तो साल 1997 के बाद यह ताइवान में किसी भी अमेरिकी उच्च अधिकारी की पहली यात्रा होगी.
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