उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

Ujjain में 1 हजार से अधिक बड़े उद्योग लेकिन 10 के पास भी Fire NOC नहीं, आग बुझाने के साधaन भी नहीं

  • कल देवास रोड की उद्योगपुरी की फेक्टरी में हुए अग्रिकांड में 3 जिंदा जल मरे, कोई उन्हें नहीं बचा पाया-फेक्टरी में नहीं थे आग बुझाने के साधन
  • घटना होने के बाद कुछ दिन हल्ला मचता है और फिर कोई जाँच नहीं होती-क्या दोषियों को मिलेगा दंड

उज्जैन। कल नागझिरी की उद्योगपुरी (Udyogpuri) में फेक्टरी (Factory) में हुए अग्रिकांड में 3 कर्मचारी जल गए और उनकी चीख पुकार बाहर आती रही..आग विदेशों (Overseas) में भी लगती है लेकिन वहाँ काबू पा लिया जाता है औरलोगों की जान बचा ली जाती है और हमारे यहाँ लोग वीडियो बनाते हैं..। उज्जैन औद्योगिक क्षेत्र (Ujjain Industrial Area) में 1 हजार कारखाने और फेक्टरी है लेकिन मात्र 10 के पास ही फायर एनओसी (Fire NOC) है.. ऐसे में दोषी किसे माना जाए, शासकीय विभागों को या फिर फेक्टरी मालिकों को। यदि फायर एनओसी (Fire NOC) नहीं है और आग बुझाने के प्रबंध नहीं हैं तथा वहाँ मजदूर काम कर रहे हैं तो नगर निगम (Nagar Nigam) और जिला प्रशासन की टीम को वहाँ जाकर कार्रवाई करना चाहिए और ऐसे कारखानों को सील करना चाहिए। कल मरे तीन मजदूरों के मामले में जाँच होगी और कुछ नहीं निकलेगा। लगता नहीं कि इस हादसे के बाद भी कोई तस्वीर बदलेगी..।
शहर में या प्रदेश में कहीं भी जब भीषण अग्निकांड होता है तो प्रशासन एक-दो दिन के लिए नींद से जाग जाता है और कार्रवाई करता है लेकिन दो-तीन दिन बीत जाने के बाद फिर सो जाता है। ऐसे में प्रशासन की और उद्योग चलाने वाले मालिकों की मजदूरों की जान से खेलने की लापरवाही चलती रहती है। एक जानकारी के अनुसार उज्जैन में नागझिरी मक्सी रोड और आगर रोड की उद्योगपुरी को मिलाकर कुल 1200 से अधिक छोटे-बड़े उद्योग संचालित किए जाते हैं, इनमें पोहा, मेटल, दोना पत्तल, टेक्सटाइल और अन्य प्रकार के उद्योग हैं। उद्योग विभाग ने जमीन इन उद्योगपतियों को दे रखी है और हजारों वर्ग फीट जमीन पर उद्योग लगाए गए हैं लेकिन आग से बचने के उपाय के नाम पर इन उद्योगों में व्यवस्थाएं ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। 1200 उद्योग में से यदि सर्वे किया जाए तो 12 के पास भी फायर एनओसी नहीं मिलेगी। इस संबंध में रिटायर्ड फायर ऑफिसर जे.एस. राजपूत से पूछा गया तो उनका कहना था सिंहस्थ के दौरान जब मैं फायर ब्रिगेड में पदस्थ था तब एक फैक्ट्री में भीषण आग लगी थी। उसके बाद हमने 3 बार पत्र लिखकर उद्योग विभाग से उज्जैन के उद्योगों की सूची मांगी थी और यह कहा था कि आग बुझाने से संबंधित इन उद्योगों के पास क्या व्यवस्थाएं हैं यह भी बताए। सूची मिलने पर विभाग द्वारा सर्वे किया जाता लेकिन सालों तक उद्योग विभाग ने इन पत्रों का जवाब देना भी उचित नहीं समझा। फायर एनओसी की बात की जाए तो बड़े-बड़े उद्योगों के पास फायर एनओसी नहीं है, वहाँ पर आग बुझाने के लिए छोटे छोटे-दो सिलेंडर लगा रखे हैं, जो आग लगने के समय कुछ काम नहीं आ पाते हैं। कल भी आग लगी और 3 महिलाएं जिंदा जली तथा कई लोग घायल हुए, अब फिर प्रशासन दो-तीन दिन कार्रवाई की बात करेगा और फिर कुंभकरण की नींद सो जाएगा, फिर कोई आग लगेगी जब जागेगा।



करोड़ों का सिंहस्थ प्राधिकरण भवन, यहाँ भी नहीं है आग बुझाने के साधन
करोड़ों का सिंहस्थ भवन प्रशासन ने प्रशासनिक क्षेत्र में बनाया है, इसे बने करीब 6 साल का समय हो गया है लेकिन यहाँ भी फायर सिस्टम नहीं लगा है, जबकि संभाग आयुक्त का कार्यालय कहां पर है, इसके अलावा कलेक्टर और निगमायुक्त भी यहां बैठते हैं और प्रथम मंजिल पर 2 बड़े हाल हैं, जिनमें प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक आए दिन होती रहती है। यदि इस भवन में कभी शॉर्ट सर्किट से आग लगी तो क्या होगा यह बड़ा प्रश्न है।

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