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अब Driving License बनवाने के लिए होगा Test

December 06, 2022

  • भोपाल में ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 200 नंबर की परीक्षा होगी

भोपाल। अगर आप लाइसेंस बनवाने की सोच रहे हैं तो ये आपके लिए जरूरी खबर है। जी हां अब आपको लाइसेंस बनवाने के लिए टेस्ट देना होगा। इसके बाद आपको पासिंग नंबर भी जरूरी होंगे। कम नंबर लाने पर आपको फेल कर दिया जाएगा। जी हां राजधानी भोपाल में अब ड्रायविंग लायसेंस के लिए होने वाले टेस्ट के लिए ट्रेक तैयार हो चुका है। इसकी टेस्टिंग की गई है। इस परीक्षा के लिए कुछ नंबर भी निर्धारित किए गए हैं। आरटीओ संजय तिवारी का कहना है कि ट्रैक को दोबाारा दुरुस्त किया जा रहा है। दो कैमरे बंद मिले हैं। उन्होंने पीडब्ल्यूडी द्वारा ठीक कराया जा रहा है। जल्द ही लाइसेंस के लिए वाहन चालकों को यह टेस्ट देना होगा। यह पूरी तरह से ऑटोमैटिक सेंसर पर आधारित रहेगा। इसमें मैन्युअल कुछ भी नहीं होगा। यह पूरी तरह पारदर्शी सिस्टम है।

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए पहले आपको गाड़ी चलाकर टेस्ट देना होगा। टेस्ट में आपको अंग्रेजी के 8 आकार में बनाए गए ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर गाड़ी चलाना होगा। सेंसर द्वारा वाहन चालक को 200 में से नंबर दिए जाएंगे। इसके लिए पास होने के लिए कम से कम 165 नंबर लाना जरूरी होगा। मंगलवार को ट्रैक पर लगे सिस्टम का टेस्ट किया गया।



गलती की तो कटेंगे नंबर
अगर आप चार पहिए का लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन दे रहे है तो गाड़ी रिवर्स में एक फीट तक पीछे आने पर नंबर नहीं कटेंगे। पहले 6 इंच तक पीछे वाहन के खिसकने पर 20 नंबर कट सकते थे।शुरुआत में एक वाहन चालक को एक बार में ही ट्रायल के लिए ट्रैक पर भेजा जाएगा।यदि कोई आवेदक टेस्ट में फेल होता है, तो उसे 10 से 15 दिन के भीतर फिर से मौका दिया जाएगा। जिसके बाद आप फिर से टेस्ट दे सकते है। जानकारी के लिए बता दें कि राजधानी में कोकता में आठ के आकार को ऑटोमैटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक बना है जिस 3 करोड़ रुपए की लागत से बनवाया गया है। वहीं 19 दिसंबर को आरटीओ की ड्राइविंग लाइसेंस शाखा को शिफ्ट किया गया था। भोपाल में प्रदेश का दूसरा ऑटोमैटिक ड्राइविंग ट्रैक है। ऑटोमैटिक सिस्टम होने से सभी को सहूलियत होगी। अन्य राज्यों के फीडबैक के आधार पर ड्राइविंग टेस्ट के नंबर निर्धारित किए जाते हैं। जहां ट्रैक नया होता है, वहां पर पास होने के लिए नंबर कम रखे जाते हैं। जब आवेदक उसके बारे में अच्छे से समझ जाते हैं, उसके बाद पासिंग नंबरों को बढ़ा दिया जाता है।

रिसर्च सेंटर बने तो रूकेंगी दुर्घटनाएं
इंदौर में मध्यप्रदेश का पहला ड्राइविंग रिसर्च सेंटर बनना था, लेकिन सरकारी ढर्रे के बेढंगे रवैये से यह सौगात नहीं मिल सकी है। इस दिशा में पहला पत्र जनवरी 2022 में लिखा गया था और अब तक विभिन्न विभागों के अफसर पत्र ही लिख रहे हैं। उधर, बीते साल प्रदेश में 12 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई है। अगर सेंटर बन जाए तो इस आंकड़े को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। परिवहन विभाग के अनुसार, प्रदेश में बीते साल 12 हजार 480 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई, इसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा की जान लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाने से गई। बीते साल केंद्र सरकार ने देशभर में ड्राइविंग रिसर्च सेंटर खोलने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसका उद्देश्य माइक्रो ड्राइविंग प्रशिक्षण और रिसर्च के बाद कुशल ड्राइवर देने का है, ताकि दुर्घटनाएं कम हों। नंदानगर स्थित ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में सेंटर बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन परिवहन और कौशल विकास विभाग के अधिकारी ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं।

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