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उद्धव ठाकरे के खिलाफ एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों की बगावत के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 14 फरवरी को करेगी

January 10, 2023


नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) महाराष्ट्र में (In Maharashtra) शिवसेना प्रमुख (Shivsena chief) उद्धव ठाकरे के खिलाफ (Against Uddhav Thackeray) एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों की बगावत के मामले (Eknath Shinde and Other MLA’ s Rebellion Case) की सुनवाई 14 फरवरी को करेगी (To Hear on February 14) ।


ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ से कहा कि मामला अत्यावश्यक है, क्योंकि चुनाव आयोग पार्टी और चुनाव चिन्ह पर नियंत्रण के मुद्दे पर कार्यवाही कर रहा है। सिब्बल ने तर्क दिया कि अदालत को मुख्य रूप से इस मुद्दे पर फैसला करना है कि क्या नबाम राबिया मामले के 2016 के पांच-न्यायाधीशों के फैसले को सात-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए। राबिया मामले के निर्णय ने स्पीकर की शक्ति को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है, अगर उन्हें हटाने की मांग का प्रस्ताव लंबित है।

जस्टिस एम.आर. शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई 14 फरवरी तय किया। वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह के साथ शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के लिए पेश हुए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यपाल का प्रतिनिधित्व किया।

इस साल अगस्त में शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट द्वारा दलबदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित प्रश्नों पर दायर याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने अपने आदेश में पहला मुद्दा तैयार किया था कि क्या स्पीकर को हटाने का नोटिस उन्हें संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता की कार्यवाही जारी रखने से रोकता है, जैसा कि इस अदालत (पांच जजों की बेंच) द्वारा नेबाम राबिया मामले में किया गया।

एकनाथ शिंदे और अन्य विधायकों द्वारा उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने और उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ठाकरे को बड़ा झटका लगा। शिंदे ने शिवसेना पार्टी और उसके चुनाव चिह्न् पर भी अपना दावा पेश किया।

शीर्ष अदालत ने स्पीकर को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने से रोक दिया और बाद में विधानसभा में नए सिरे से विश्वास मत की अनुमति दी, जिसके बाद ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 11 जुलाई को नवनियुक्त महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिकाओं पर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाने को कहा था।

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