
नई दिल्ली। दुनियाभर में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, इसके कारण झीलों के फटने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ग्लेशियर झीलों (हिमनद झीलों) के कारण भारत में 30 लाख और दुनिया भर में 1.5 करोड़ लोगों का जीवन संकट में है।
ब्रिटेन के न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) के सबसे बड़े जोखिम का पहला अध्ययन है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वैश्विक स्तर पर उजागर आबादी में से आधे से अधिक केवल चार देशों- भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में पाए जाते हैं। ग्लेशियरों के आसपास बसी कुल आबादी में से आधे से अधिक सिर्फ चार देशों-भारत, पाकिस्तान, पेरू और चीन में हैं।
अध्ययन के मुताबिक, जैसे-जैसे तापमान गर्म होता है, ग्लेशियर के टुकड़े पिघलते हैं और झीलों में पानी का स्तर बढ़ जाता है। इसके कारण झील फट सकती है, इसका पानी और मलबा पहाड़ों से नीचे आ जाएगा। इसके कारण सुनामी या बाढ़ की संभावना अधिक बढ़ जाती है। शोधकर्ता रॉबिन्सन ने कहा, ये हिमनद मानव निर्मित बांधों से अलग नहीं हैं।
1941 के बाद से 30 से अधिक प्राकृतिक घटनाएं
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 1941 के बाद से पहाड़ों में हिमस्खलन से लेकर ग्लेशियर झील फटने के कारण 30 से अधिक आपदाओं की घटनाएं सामने आई हैं। इसमें हजारों लोगों की जानें गई हैं।
2022 में 16 ग्लेशियर झीलें फटने की घटनाएं
वैज्ञानिकों ने कहा कि अकेले 2022 में देश के उत्तरी गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में कम से कम 16 ग्लेशियर झील फटने की घटनाएं हुईं। हालांकि, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ का कितना हिस्सा हिमनदों के पिघलने से जुड़ा था।
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