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उत्तराखंड : धामी कैबिनेट ने UCC ड्राफ्ट को दी मंजूरी, 6 फरवरी को विधानसभा में होगा पेश

February 05, 2024

देहरादून (Dehradun) । उत्तराखंड (Uttarakhand) में धामी सरकार (Dhami Government) ने रविवार शाम 6 बजे की कैबिनेट मीटिंग में यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) पर तैयार किए गए मसौदे को मंजूरी दे दी है. UCC ड्राफ्ट सरकार के सामने पेश किया गया था. मीटिंग में उसी ड्राफ्ट पर चर्चा हुई और विधानसभा में पेश करने की मंजूरी दी गई. सीएम धामी ने शनिवार को भी UCC के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में पांच फरवरी से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर भी चर्चा की गई.

बता दें कि शनिवार को हुई बैठक में यूसीसी पर चर्चा नहीं हो सकी थी, इसलिए ड्राफ्ट को आज हुई कैबिनेट की बैठक में चर्चा के लिए रखा गया था. उत्तराखंड में UCC को लागू करने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. ऐसे में उत्तराखंड पहला राज्य बन सकता है जहां समान नागरिक कानून (UCC) लागू हो जाएगा.

धामी कैबिनेट ने दी बिल को मंजूरी, 6 को विधानसभा में होगा पेश
प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंप दी थी. धामी सरकार ने UCC के लिए 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. ड्राफ्ट को आज की कैबिनेट मीटिंग में पास कर दिया गया है. बिल को अब धामी सरकार 6 फरवरी को विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करेगी.


UCC ड्राफ्ट की बड़ी बातें
1- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा.
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे. तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
4- एक पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी, यानी पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी.
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार होगा.
6- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा. ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा.
7- अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे.

सचिवालय में कैबिनेट बैठक के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इस सत्र में हम यूसीसी लाएंगे, जो भी औपचारिकताएं हैं, उन्हें पूरा किया जा रहा है. इसके बाद एक और कैबिनेट बैठक होगी, जिसके बाद मसौदा लाया जाएगा. हमें अभी यूसीसी बिल का अध्ययन पूरा करना है और बाकी औपचारिकताएं पूरी करनी हैं. अगली कैबिनेट में यूसीसी लाएंगे.

यूसीसी मसौदे का हो रहा विरोध
यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसौदे का विरोध भी हो रहा है. कहा जा रहा है कि मसौदे को जांच के लिए सार्वजनिक नहीं किया गया है. बताया जा रहा है कि जनजातियों को संहिता से बाहर रखने और इस धारणा के बारे में चिंताएं व्यक्त की गईं कि केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है. नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर यूसीसी कुरान और शरिया का खंडन करता है तो विरोध किया जाएगा.

मुस्लिम सेवा संगठन के नईम कुरेशी ने कहा कि यूसीसी वास्तव में अस्तित्व में नहीं है, क्योंकि एक यूनिफॉर्म सिविल कोड पूरे देश में समान रूप से लागू होनी चाहिए. उन्होंने मुसलमानों को रूढ़िवादी के रूप में चित्रित करने की आलोचना की और इस बात पर जोर दिया कि कानूनी मामलों को देश की अदालतों में निपटाया जाता है, काज़ियों द्वारा नहीं.

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