img-fluid

गैर राज्य के नेताओं को यूपी की राजनीति खूब भाती है, जो आया यहीं का होकर रह गया

March 19, 2024

नई दिल्‍ली (New Delhi)। यूपी की तहज़ीब ऐसी है कि यहां आने वाला यहीं का होकर रह जाता है। यही वजह है कि गैर राज्य (non state)के नेताओं को यूपी की राजनीति (Politics)खूब भाती है। यह आज से नहीं आजादी(independence) के बाद से चला आ रहा है। हरियाणा के अंबाला की रहने वाली सुचेता कृपलानी यूपी की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। वह गोंडा संसदीय सीट से 1967 में कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुनी गईं।

लोकसभा अध्यक्ष रही मीरा कुमार ने भी अपने राजनीति जीवन की शुरुआत यूपी से ही की। विदेश सेवा से रिटायर होने के बाद वह कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 1985 में पहला उपचुनाव यूपी के बिजनौर सीट से लड़ीं और जीती। अभिनेत्री जया प्रदा रामपुर संसदीय सीट से दो बार सांसद चुनी गईं।

मोदी लड़े प्रधानमंत्री बने


बात सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करते हैं। गुजरात की राजनीति से निकल कर देश की राजनीति में पहुंचने के बाद उन्होंने अपनी कर्मभूमि वाराणसी को बनाया। उन्होंने अपनी सार्वजनिक रैली में कहा कि मैं आया नहीं मुझे मां गंगा ने बुलाया है। उनका यह डायलॉग खूब चला। नरेंद्र मोदी वाराणसी पहला चुनाव वर्ष 2014 में लड़े और आप के संस्थापक अरविंद केजरीवाल को रिकार्ड 3.71 लाख वोटों से हराया और देश के प्रधानमंत्री बने। नरेंद्र मोदी वर्ष 2019 में भी वाराणसी से ही चुनाव लड़े पिछले चुनाव से भी अधिक मतों 4.79 लाख वोटों से सपा की शालिनी यादव को हराया। नरेंद्र मोदी फिर मैदान में हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के पास है और उसने अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

अटल लड़े और पीएम बने

मध्य प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी यूपी में ऐसे रचे-बसे कि वह यहीं के ही होकर रह गए। अटल बिहारी वाजपेयी ने बलरामपुर के बाद लखनऊ को अपना राजनीतिक कार्यक्षेत्र बनाया। वह लखनऊ से पांच बार सांसद चुने गए। वर्ष 1991 से 2004 तक वह लगातार सांसद चुने गए। वर्ष 2014 व 2019 दो बार राजनाथ सिंह सांसद चुने जा चुके हैं। इस बार वह जीते तो उनकी हैट्रिक हो जाएगी।

अमेठी को बनाया गढ़

टीवी सीरियल की अदाकारा व भाजपा की नेता स्मृति ईरानी ने भी यूपी के अमेठी को अपना गढ़ बनाया। वर्ष 2019 में वह कांग्रेस की गढ़ में उतरी और तीन बार के कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी को 55 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया। स्मृति इस बार भी अमेठी से चुनाव लड़ रही हैं। इंडिया गठबंधन बंटवारे में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आई है, लेकिन उनसे अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

हेमा मालिनी का बजा डंका

जाटलैंड की मानी जाने वाली सीट मथुरा को अभिनेत्री हेमा मालिनी ने राजनीतिक कर्मभूमि बनाया और पहली बार वर्ष 2014 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। वर्ष 2019 के चुनाव में भी वह जीतने में सफल रही। वर्ष 2014 में उन्होंने जयंत चौधरी को तीन लाख से अधिक वोटों से हराया तो वर्ष 2019 में आरएलडी उम्मीदवार को करीब तीन लाख वोटों से हराया। इस बार भी वह मैदान में है, फर्क इतना है कि आरएलडी विरोध में नहीं बल्कि उनके साथ है।

Share:

  • एनडीए के साथ रहने पर जदयू ज्यादा ताकतवर, बनाए नए रिकार्ड, जाने क्या कहते हैं आंकड़े?

    Tue Mar 19 , 2024
    पटना (Patna) । बिहार (Bihar) में एनडीए (NDA) के साथ रहकर जदयू (JDU) ज्यादा ताकतवर दिखता है। दूसरा पक्ष यह भी है कि अपने रणनीतिक प्रयासों पार्टी के नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) 18 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं। कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन की मदद से वह 2005 से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। बीच में […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved