
नई दिल्ली (New Delhi)। यूपी के चुनावी (UP elections)समर में पहले तीन चरणों की 26 सीटों पर अखिलेश राहुल गांधी(Akhilesh Rahul Gandhi) के रणनीतिक कौशल(strategic skills) का इम्तहान (Examination)होना है। यहां प्रत्याशी चयन से लेकर जातीय समीकरणों की बिसात बिछाने तक खासी सावधानी बरती गई है। यहां सपा कांग्रेस यहां पूरी कोशिश में हैं कि पश्चिमी यूपी में एक ओर रालोद का साथ छूटने की भरपाई की जाए। इंडिया गठबंधन खासी सावधानी से प्रचार कर रहा है। विवादित मुद्दों से बचने की कोशिश तो ही रही है। यह सब इसलिए ताकि यहां चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण न हो पाए। इसलिए यहां विवादित मुद्दों पर बोलने वाले सपा के नेता खामोशी ओढ़े हुए हैं। बात पीडीए से लेकर जातिगत जनगणना पर जोर है। अब जल्द यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी व सपा प्रमुख अखिलेश यादव की संयुक्त रैली की तैयारी है।
नए सिरे से बिछाए जातीय समीकरण
मुस्लिम बाहुल्य मुस्लिम सीट मुरादाबाद जहां दस बार मुस्लिम सांसद जीते हों, वहां सपा ने एक वैश्य समुदाय की प्रत्याशी को उतार कर बड़ा खतरा उठाया है। बागपत जैसी जाट बाहुल्य सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारा है। इंडिया गठबंधन के रणनीतिकार इसे इन इलाकों में साम्प्रदायिक आधार पर वोटों के बंटवारे को रोकने की कोशिश का हिस्सा मानते हैं लेकिन रामपुर में सपा प्रत्याशी को पार्टी के एक गुट से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मुरादाबाद मौजूदा सांसद एसटी हसन का टिकट कटने के बाद दिख रही बेरुखी सपा को कितनी महंगी पड़ेगी यह वक्त बताएगा।
तीन चरणों की 26 सीटों पर सपा ने दिए कम मुस्लिम
सपा ने पहले चरण की 8 सीटों में दो मुस्लिम दिए हैं जबकि कांग्रेस ने एक। दूसरे चरण की 8 सीटों में सपा ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया जबकि कांग्रेस ने एक। तीसरे चरण में सपा ने एक मुस्लिम को टिकट दिया है। इस तरह तीन चरणों की 26 सीटों में सपा कांग्रेस ने केवल पांच मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। अपेक्षाकृत कम मुस्लिम प्रत्याशी उतारने के पीछे की मंशा गैर मुसलिम वोटों में भी बड़ी हिस्सेदारी लेने की है। गठबंधन के रणनीतिकार मान रहे हैं कि मुस्लिम वोट में बड़ा हिस्सा तो उनके साथ आएगा ही। इसीलिए इस पर खामोशी रखी जाए ताकि हिंदू वोट विभिन्न जातियों के आधार पर मतदान करे।
गैर जाटव व गैर यादव ओबीसी पर फोकस
सपा कांग्रेस ने इन 26 सीटों पर 10 ओबीसी, पांच दलित, पांच मुस्लिम व 6 सवर्णों को टिकट दिया है। इसमें सपा ने अपने कोटे की 18 सीटों में केवल तीन यादवों को प्रत्याशी बनाया है। बाकी कुर्मी, सैनी, शाक्य, मौर्य को प्रतिनिधित्व दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा व रालोद का गठबंधन था। उस गठबंधन ने भाजपा के खिलाफ सात मुस्लिमों को टिकट दिया था जबकि दलितों व सवर्णों की तादाद इस बार के मुकाबले कम थी। इस बार सपा के गठबंधन में कांग्रेस साथ है तो बसपा अकेले लड़ रही है। रालोद भाजपा संग जाकर दो सीटों पर लड़ रहा है। इंडिया गठबंधन दलित वर्ग में जाटव के मुकाबले पासी, बाल्मीकि आदि दलित जातियों को ज्यादा टिकट दिए हैं।
मुस्लिम वोटों के लिए इंडिया गठबंधन का बसपा से कड़ा संघर्ष
बसपा ने तीन चरणों की 26 सीटों में 8 मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर मुस्लिम वोटों पर बड़ी दावेदारी जता दी है। मसलन सहारनपुर, रामपुर, मुरादाबाद, पीलीभीत, अमरोहा, संभल, बदायूं व आंवला में बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी व इंडिया गठबंधन के बीच मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा। खास तौर पर सहारनपुर, रामपुर, अमरोहा, संभल में तो इसके लिए बड़ी जंग होने के आसार हैं। इन सीटों पर गठबंधन ने मुस्लिम प्रत्याशी दिए हैं।
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