
नई दिल्ली। भारत (India) ने धार्मिक स्वतंत्रता (religious freedom) पर अमेरिकी (America) रिपोर्ट को पूरी तरह पक्षपातपूर्ण करार देते हुए सिरे से नकार दिया। साथ ही कहा कि अमेरिका अपना वोटबैंक (Votebank) साधने के लिए भारत को नसीहत देने के बजाय अपने यहां नस्लीय हमलों और धार्मिक स्थलों पर निशाना बनाने की घटनाओं पर ध्यान दे। भारत ने यह तीखी प्रतिक्रिया अमेरिका की उस रिपोर्ट पर जताई है, जिसमें धर्मांतरण विरोधी कानूनों, नफरती भाषणों और अल्पसंख्यकों के धर्मस्थल ध्वस्त किए जाने पर चिंता जताई गई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह रिपोर्ट अमेरिकी चुनावों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जिसमें भारतीय ताने-बाने की समझ का साफ अभाव है। यह स्पष्ट तौर पर खास वोट बैंक के विचारों-पूर्वाग्रहों से निर्देशित पूर्वनिर्धारित दृष्टिकोण है। भारत ने भी नस्लीय भेदभाव-हिंसा मामले को अमेरिका संग बातचीत में आधिकारिक तौर पर उठाया है, लेकिन ऐसी बातचीत को राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप का लाइसेंस नहीं बनने देना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा, खास उद्येश्य से तैयार रिपोर्ट में जानबूझकर चुनिंदा घटनाओं को आधार बनाया गया है। तथ्यों का पक्षपातपूर्ण तरीके से चयन कर एकतरफा धारणा बनाने की कोशिश की गई। कानूनों को लागू करने के लिए विधायिका के अधिकार पर सवाल उठाए गए हैं, वह निंदनीय है।
मानवाधिकारों के प्रति दिखाया आईना
जायसवाल ने मानवाधिकारों के प्रति अमेरिका को आईना दिखाते हुए कहा कि यह पहले की तरह भविष्य में भी दोनों देशों के बीच चर्चा का विषय रहेगा। बीते साल भारत ने अमेरिका में घृणा अपराधों, भारतीय नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों पर नस्लीय हमलों, पूजा स्थलों में तोड़फोड़, चरमपंथ और आतंकवाद के पैरोकारों को राजनीतिक संरक्षण का मामला उठाया था। यह रिपोर्ट जो स्वतंत्र और पूरी तरह से स्वायत्त भारतीय न्यायालयों के कानूनी निर्णयों पर सवाल उठाता है, उसे हम सिरे से खारिज करते हैं।
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