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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ हजारों लोगों ने हाईकमीशन को घेरा, नारेबाजी

December 10, 2024

नई दिल्ली. बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंदुओं (Hindus) पर अत्याचार के खिलाफ दिल्ली में बड़ा प्रदर्शन हो रहा है. ये प्रदर्शन बांग्लादेश हाई कमीशन (High Commission) के बाहर जबरदस्त नारेबाजी चल रही है. हजारों (Thousands) की संख्या में प्रदर्शनकारी यहां पहुंचे हैं. उनके हाथों में तख्ती है, जिन पर अलग-अलग नारे लिखे हैं. प्रदर्शनकारियों में साधु-संत और महिलाएं भी शामिल हैं. हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को बंद करने की मांग की जा रही है.



शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट होने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं. पिछले महीने हिंदू धर्म गुरु चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी के बाद ये हमले और बढ़ गए थे.

बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर ये प्रदर्शन ऐसे वक्त हो रहा है, जब भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ढाका में हैं. एक दिन पहले ही विदेश सचिव मिस्री ने हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा उठाया था. बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन के सामने विक्रम मिस्री ने इस मुद्दे को उठाया था. हुसैन से मुलाकात के बाद विदेश सचिव मिस्री ने कहा, ‘… हमने हाल की घटनाओं पर भी चर्चा की और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण से संबंधित चिंताओं से उन्हें अवगत कराया… हमने सांस्कृतिक और धार्मिक संपत्तियों पर हमलों की खेदजनक घटनाओं पर भी चर्चा की.’

अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर विदेश सचिव की टिप्पणी के बाद बांग्लादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन का एक बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि भारत को बांग्लादेश के घरेलू मामलों में दखल देने से बचना चाहिए.

इससे पहले चिन्मय कृष्णा दास की गिरफ्तारी की भारतीय विदेश मंत्रालय ने निंदा की थी. विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, अल्पसंख्यकों के घरों और दुकानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज किए गए हैं. इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण तरीके से वैध मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं.

बांग्लादेश में किस हालत में हैं अल्पसंख्यक?
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का इतिहास लंबा रहा है, खासकर हिंदू समुदाय को. याद होगा कि दो साल पहले भी बांग्लादेश में हिंदू विरोधी भावनाएं भड़क गई थीं, जिसके बाद कई हिंदुओं की हत्या भी कर दी गई थी.

हाल ही में, शेख हसीना के इस्तीफे के बाद सैकड़ों जगहों से हिंदुओं पर हमले के मामले सामने आए हैं. इस्कॉन टेम्पल और दुर्गा मंदिरों को निशाना बनाया गया है. हिंदुओं के घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई है. दिनाजपुर में उपद्रवियों ने एक श्मशान घाट पर भी कब्जा कर लिया था.

अभी तो हिंदुओं पर हो रही हिंसा के मामले सामने आ भी जा रहे हैं, लेकिन वहां दशकों से इनके साथ उत्पीड़न हो रहा है. हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन का दावा है कि 1964 से 2013 के बीच एक करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश छोड़कर भाग गए हैं. फाउंडेशन का कहना है कि हर साल 2.30 लाख हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं.

बांग्लादेश में गैर-मुस्लिमों की आबादी तेजी से घटी है. 1951 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) में गैर-मुस्लिम आबादी 23.2% थी. यहां आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी. उसमें सामने आया था कि बांग्लादेश में गैर-मुस्लिमों की आबादी घटकर 9.4% हो गई है.

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