
नई दिल्ली: बढ़ते स्पैम कॉल और मोबाइल पर फ्रॉड को लेकर सरकार का तंत्र सख्त हो गया है और सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कई तरह के मुहिम चला रही है. सरकार ने टेलीकॉम नियमों में कई बदलाव किए हैं. इसके साथ ही सरकार ने उन लोगों की लिस्ट बना ली है, जिसके नाम पर सिम कार्ड जारी नहीं होगा.
हाल ही में सरकार ने ईकेवाईसी वेरिफिकेशन को मेनडेटरी बना दिया है और इसके बिना सिम कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे. सरकार ने साइबर धोखाधड़ी और सिम कार्ड के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस जरूरी कदम को उठाया है. दरअसल, इस कदम के जरिए सरकार उन लोगों पर लगाम कसना चाहती है, जो किसी और के नाम पर सिम कार्ड खरीदते थे और उस फिर नंबर का दुरुपयोग करते थे.
साइबर अपराध करने वाले अब सरकार के लिए सिर दर्द बनते जा रहे हैं. इन पर लगाम कसने के लिए दूरसंचार विभाग ने एक ब्लैकलिस्ट तैयार करनी शुरू कर दी है. यहां तक कि सिम कार्ड नियम के तहत दूरसंचार विभाग (DoT) ने फर्जी कॉल्स और SMS करने वाले लाखों मोबाइल नंबर को भी बंद कर दिए हैं.
दूरसंचार विभाग ने जो ब्लैकलिस्ट तैयार की है, उसमें उन लोगों के नाम शामिल हैं, दूसरों के नाम पर सिम जारी कर, मोबाइल यूजर्स के साथ फ्रॉड करते हैं. दरअसल, सरकार इसे साइबर सेक्योरिटी के लिए खतरा मानती है और इसलिए इन्हें ढील देने के मूड में नजर नहीं आ रही.
जो यूजर्स दूरसंचार विभाग के ब्लैकलिस्ट में होंगे उनका सबसे पहले सिम ब्लॉक कर दिया जाएगा. इसके अलावा उनके नाम पर 6 से 3 साल तक कोई नया सिम कार्ड जारी नहीं होगा. हालांकि एक्शन लेने से पहले सरकार ऐसे लोगों को एक नोटिस भी भेजेगी, जिसका जवाब उन्हें 7 दिनों के भीतर भेजना होगा. लेकिन दूरसंचार विभाग का ये भी स्पष्ट कहना है कि जो मामले जनहित से जुड़े होंगे, उनमें वह नोटिस भेजे बिना ही कार्रवाई कर देगा.
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