
इंदौर। मास्टर प्लान की जिन 23 सडक़ों का निर्माण नगर निगम द्वारा शुरू किया जा रहा है उसकी समीक्षा बैठक कल विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बुलाई, जिसमें दूसरे काबिना मंत्री तुलसीराम सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित विधायक और महापौर परिषद सदस्य सहित कलेक्टर आशीष सिंह, निगमायुक्त शिवम वर्मा व अन्य अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में विजयवर्गीय ने तीखे तेवर दिखाए। एयरपोर्ट रोड स्थित विंध्याचल कॉलोनी की एक बिल्डिंग में गणेशगंज के कुछ लोगों को कुछ वर्ष पूर्व शिफ्ट करवाया था, मगर अभी तक बिल्डिंग खाली करके नहीं दी, जिस पर विजयवर्गीय ने दो टूक कहा कि क्या काकाजी का राज चल रहा है कि किसी की भी बिल्डिंग या मकान ले लोगे।
15 दिन में इस निजी बिल्डिंग को खाली करवाएं। कुछ वर्ष पूर्व गणेशगंज क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के दौरान काबिज लोगों को विंध्याचल नगर में ही बनी और खाली पड़ी एक निजी बिल्डिंग में ताबड़तोड़ शिफ्ट करा दिया था और तब कहा था कि कुछ समय बाद बिल्डिंग खाली कर देंगे। मगर इतने वर्षों बाद भी बिल्डिंग खाली करके नहीं सौंपी और बिल्डर ने इसकी जानकारी मंत्री विजयवर्गीय को दी। लिहाजा कल बैठक में विजयवर्गीय ने निगमायुक्त शिवम वर्मा से पूछा कि निजी बिल्डिंग में शिफ्ट किए गए लोगों को अभी तक क्यों नहीं हटाया गया और अन्य जगह उन्हें क्यों नहीं दी?
कलेक्टर से भी इस मामले को देखने को कहा और निगमायुक्त को निर्देश दिए कि 15 दिन में इस बिल्डिंग को खाली करवाएं। विधानसभावार बनाई जा रही सडक़ों का प्रेजेंटेशन भी मंत्री सहित मौजूदा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने देखा, जिसमें कुछ विधायकों ने सडक़ों की चौड़ाई घटाने के अलावा काबिज लोगों को शिफ्ट कराने की बात भी कही, जिस पर विजयवर्गीय ने स्पष्ट कहा कि शहर का यातायात लगातार बढ़ रहा है, इसलिए किसी भी सडक़ की चौड़ाई घटाई नहीं जा सकती और इसका दबाव भी विधायकों द्वारा नहीं बनाया जाना चाहिए। यहां तक कि उन्होंने अपने कट्टर समर्थक रमेश मेंदोला से भी दो टूक कहा कि किसी भी सडक़ की चौड़ाई नहीं घटेगी और बाधक निर्माणों को तो हटाना ही पड़ेगा। अगर ऐसा ही विरोध होता रहा तो फिर कहीं पर भी काम नहीं कर पाएंगे। दरअसल, विधायक मेंदोला ने कहा कि वैध दुकानें हटाई जा रही हैं और उसका मुआवजा भी नहीं मिलता।
इस पर विजयवर्गीय ने कहा कि दुकान के मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है और यह अतिक्रमण और अवैध निर्माण की श्रेणी में आते हैं। वहीं विजयवर्गीय ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव को भी निर्देश दिए कि हर 15 दिन में सडक़ निर्माण की समीक्षा करें और उन्हें भी रिपोर्ट दें। कहीं धार्मिक स्थल की बाधा है तो हम बात करेंगे और अन्यत्र शिफ्ट भी किया जाएगा। चूंकि निगम खजाने में पैसा इन सडक़ों का आ चुका है, इसलिए भुगतान की भी समस्या नहीं रहेगी। मंत्री ने जनकार्य प्रभारी राजेंद्र राठौर को भी निर्देश दिए कि मास्टर प्लान की इन सडक़ों को ढाई-तीन साल में नहीं, बल्कि प्रयास करें कि 15 महीने में पूरा कर दिया जाए। वहीं आयुक्त से कहा गया कि जहां-जहां भी सडक़ों का निर्माण होना है वहां पर सूचना बोर्ड लगवाए जाएं, जिस पर सडक़ की लंबाई-चौड़ाई, उसकी लागत, ठेकेदार फर्म का नाम, संबंधित व्यक्ति का मोबाइल नंबर और निगम के इंजीनियर का नाम और नंबर भी होना चाहिए और साथ ही सडक़ निर्माण कितनी अवधि में पूरा होगा उसका भी उल्लेख किया जाए, ताकि आम जनता को पूरी जानकारी मिल सके।
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