
नई दिल्ली। पिछले जुलाई में सोने पर आयात शुल्क कम करने के सरकार के फैसले का उद्योग पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और आगामी बजट में टैरिफ में किसी भी तरह की वृद्धि कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। विश्व स्वर्ण परिषद ने यह आशंक जताई है।
2025-26 के बजट से पहले कीमती धातु पर आयात शुल्क न बढ़ाने का अनुरोध करते हुए डब्ल्यूजीसी के भारत के क्षेत्रीय सीईओ सचिन जैन ने कहा, “आगामी बजट में आयात शुल्क में किसी भी वृद्धि का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे तस्करी में वृद्धि, घरेलू सोने की कीमतों में वृद्धि और उद्योग को पीछे धकेलने की आशंका है।”
एक बजट पूर्व नोट में जैन ने कहा, “यह जरूरी है कि सरकारी निकायों, उद्योग जगत के लोगों और वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारक बाजार की सकारात्मक गति को बनाए रखने के लिए सहयोग करें। एक तालमेलपूर्ण भरे वातावरण को बढ़ावा देकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि स्वर्ण उद्योग फलता-फूलता रहे, नवाचार करता रहे और भारत के आर्थिक विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे।”
जैन ने कहा कि वे पिछले दशक की तरह, बजट में प्रगतिशील, लोगों के अनुकूल और उद्योग को मदद पहुंचाने वाली घोषणाओं की उम्मीद कर रहे हैं। सोने का उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अनुमानित रूप से 1.3 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 20 से 30 लाख लोगों को रोजगार देता है। जुलाई में पेश किए गए बजट 2024 में सोने पर सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया था।
डब्ल्यूजीसी का दावा है कि सीमा शुल्क में कटौती से अनौपचारिक आयात को कम करने, आधिकारिक चैनलों को स्थिर करने और सोने की घरेलू खरीद को प्रोत्साहित करने में मदद मिली है। सोने पर करों में कमी से एक अधिक संगठित और पारदर्शी उद्योग को बढ़ावा मिला है, जिससे बाजार मजबूत हुआ है।
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